पेइचिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शेंगफेंग वांग और उनकी टीम ने 88,461 लोगों पर रिसर्च किया। ये सभी लोग ऐसे सेंसर पहने हुए थे जो उनकी नींद का पैटर्न रिकॉर्ड करते थे। उन्होंने पाया कि अनियमित सोने का समय 172 बीमारियों से जुड़ा हुआ है।
‘स्लीप रेगुलैरिटी इंडेक्स’ नामक एक मीट्रिक बताता है कि आपकी हर दिन की नींद कितनी एक जैसी है। शोध में यह इंडेक्स मौत की आशंका को नींद की अवधि से बेहतर तरीके से बताता है।
नींद से जुड़ी आदतें 172 में से 92 बीमारियों के 20% से ज़्यादा मामलों की वजह थीं। इनमें पार्किंसन के 37% और टाइप 2 डायबिटीज के 36% मामले शामिल हैं। जैसे धूम्रपान को अमेरिका में 30% दिल की बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है, वैसे ही शोधकर्ता कह रहे हैं कि सही नींद के ज़रिए भी कई बीमारियों को टाला जा सकता है।
अक्सर माना जाता है कि ज्यादा सोने से भी नुकसान हो सकता है, लेकिन इस शोध में पाया गया कि नौ घंटे सोने वाले अधिकतर लोग दरअसल बिस्तर पर तो नौ घंटे रहे, लेकिन सोए केवल छह घंटे। जब गलत आंकड़ों को हटाया गया तो ‘लंबी नींद’ और दिल की बीमारी के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।
हमारा शरीर एक 24 घंटे की आंतरिक घड़ी (सर्कैडियन रिद्म) के अनुसार चलता है, जो हार्मोन, पाचन और इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करती है। कम ‘रिलेटिव एम्प्लिट्यूड’ – यानी दिन और रात की गतिविधियों का अंतर कम होना – सीओपीडी और किडनी फेलियर जैसी बीमारियों से जुड़ा मिला।
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर लोग रात में तेज रोशनी, देर से कैफीन और देर रात मोबाइल के उपयोग से बचें तो उनकी नींद की नियमितता सुधर सकती है – और इसके साथ ही गंभीर बीमारियों का खतरा भी घट सकता है।
न्यूरोसाइंटिस्ट मैट वॉकर के अनुसार –
- रोज़ एक ही समय पर उठने की आदत बनाएं
- सोने से एक घंटा पहले लाइट्स धीमी कर दें
- बेडरूम को केवल सोने के लिए इस्तेमाल करें
अभी नींद के ट्रैकर दिमाग की गतिविधि नहीं माप सकते, और इस अध्ययन में अधिकतर बुजुर्ग शामिल थे। आगे और विस्तृत शोध की ज़रूरत है।