100 दिन की कार्य योजना से ही
चुनावी घोषणा पत्र के बाद तबादला नीति को 100 दिवसीय कार्य योजना में भी शामिल किया था। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही संशोधित कार्य योजना में हटा दिया। इसके बाद भी शिक्षा मंत्री तबादलों के बयान देते रहे। बोर्ड परीक्षा से पहले गर्मियों की छुट्टी में तबादले की घोषणा की थी। हाल में प्रपत्र में भाजपा विधायकों व प्रत्याशियों ने थर्ड ग्रेड शिक्षकों के अलावा अन्य संवर्ग के 70-70 शिक्षकों की डिजायर लिस्ट भेजी, उसे भी झूठा करार देकर शिक्षा मंत्री अब नए सत्र से पहले तबादला नहीं करने की नई बात कह चुके हैं।
छवि पर बुरा असर
तबादलों की घोषणा के बाद बार- बार मुकरने पर सरकार की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे शिक्षकों से लेकर आमजन तक में सरकार के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ रही है। इसे रोकना है तो सरकार को इस संबंध में जल्द कदम उठाना होगा।तो दो साल नहीं होंगे तबादले
शिक्षकों में अब तबादलों पर रोक लंबी होने की आशंका गहरा रही है। क्योंकि केंद्र सरकार की जनगणना की कवायद के बीच प्रदेश सरकार नवंबर में निकाय चुनाव कराने की बात भी कह रही है। ऐसे में यदि शिक्षकों के तबादले जल्द नहीं हुए तो ये मामला 2027 में जनगणना पूरी होने तक अटक सकता है। इसी आशंका में शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।शिक्षक संगठनों ने ये कहा:—
थर्ड ग्रेड शिक्षक सात वर्ष से तबादलों का इन्तज़ार कर रहे हैं। सरकार को अतिशीघ्र पदोन्नति प्रक्रिया पूरी कर सभी संवर्गो के लिए स्थाई तबादला नीति बनाकर शीघ्र तबादले करने चाहिए। अन्यथा संगठन फिर पैदल मार्च की तरह तीव्र आंदोलन करने की रणनीति तैयार कर रहा है। इस संबंध में रविवार से दो दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक भी रखी गई है। -उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शे.)