चीख-पुकार सुनकर परिवार के लोग दौड़े और किसी तरह मासूम को कुत्ते के चंगुल से छुड़ाया। बच्चा खून से लथपथ था और हालत नाजुक होती जा रही थी। परिजन तुरंत उसे लेकर स्थानीय सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) पहुंचे, जहां उसे प्राथमिक उपचार के साथ एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए मुरादाबाद रेफर कर दिया गया।
चेहरे पर लगे 35 टांके, डॉक्टर भी हैरान
मुरादाबाद में डॉक्टरों की टीम ने मासूम अव्यांश की सर्जरी की, जिसमें चेहरे पर 35 टांके लगाने पड़े। डॉक्टरों का कहना है कि हमला बेहद क्रूर था और अगर थोड़ी देर और हो जाती तो जान का खतरा हो सकता था। पीड़ित के नाना जयराम आर्य ने बताया कि उनकी बेटी संध्या और दामाद सचिन अपने बेटे के साथ हरिद्वार से गांव आए थे। अव्यांश घर के बाहर खेल रहा था, तभी यह घटना हो गई।
पहले भी कर चुका है हमला, गांव में खौफ
परिजनों के अनुसार, यह कुत्ता पहले भी गांव में एक बकरी पर हमला कर चुका है। लेकिन इस बार उसने मासूम को अपना निशाना बनाया। घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है, खासकर बच्चों में डर देखा जा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस कुत्ते को पकड़वाने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दो माह में 900 से ज्यादा लोग बन चुके हैं शिकार
रामपुर जिले में पिछले दो महीनों में 900 से अधिक लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो चुके हैं। गर्मी और उमस के कारण पालतू व आवारा कुत्ते आक्रामक हो गए हैं और बच्चों से लेकर बाइक सवारों तक को निशाना बना रहे हैं। शहर के पक्का बाग, पुराना गंज, बिलासपुर गेट, मछली बाजार, तोपखाना, कुंडा, जेल रोड, राजद्वारा, पीली मस्जिद जैसे इलाकों में कुत्तों का आतंक सबसे ज्यादा है। लोग हाथ, पैर और घुटनों पर घायल हो रहे हैं।
पालिका की लापरवाही उजागर, ठेका मिला पर कार्रवाई नहीं
नगर पालिका ने करीब 44 लाख रुपये का ठेका एक साल पहले कुत्तों को पकड़ने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को दिया था, लेकिन आज तक न तो कंपनी ने धरातल पर काम किया और न ही नगर पालिका प्रशासन ने निगरानी की। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि अब जान का खतरा बन गया है। नागरिकों में रोष है और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
गर्मी में कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। यदि किसी को कुत्ता काट ले तो तुरंत जिला अस्पताल आएं और एंटी-रेबीज का टीका लगवाएं। हमारे अस्पताल में एंटी रैबीज की पर्याप्त वायल उपलब्ध हैं। – डॉ. दशरथ सिंह, वरिष्ठ फिजिशियन, रामपुर