11 साल में काशी का कायाकल्प, सबसे प्राचीन शहर अब धर्म और पर्यटन का बन गया ग्रोथ इंजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अगस्त को अपने 51वें दौरे पर एक बार फिर काशी आ रहे हैं। यह दौरा केवल विकास परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास भर नहीं, बल्कि उस रिश्ते का प्रतीक बन चुका है जो एक प्रधानमंत्री और उसकी कर्मभूमि के बीच समय के साथ आत्मीयता में बदल चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अगस्त को अपने 51वें दौरे पर एक बार फिर काशी आ रहे हैं। PC: narendramodi.in
जब 2014 में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कदम रखा था तब कहा था, “यहां मुझे न किसी ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। नरेंद्र मोदी की ये बात काशीवासियों के दिल में उतर गई। बीते 11 सालों में काशीवासियों ने नरेंद्र मोदी को यहां से 3 बार उन्हें भारी मतों से जीत दिलाई।
अब जब प्रधानमंत्री मोदी अपने 51वें दौरे पर 2 अगस्त को फिर काशी आ रहे हैं तो यह सिर्फ राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि विकास के तोहफे की पुनरावृत्ति है। भाजपा के जिलाध्यक्ष एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा ने कहा कि इस बार सेवापुरी ब्लॉक के बनौली गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐतिहासिक 51वां दौरा होगा। 27 देशों का सर्वोच्च पुरस्कार पाने वाले और कार्यकाल के मामले में इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ने वाले प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं।
इन योजनाओं का करेंगे शिलान्यास
पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 3,880 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, वाराणसी रिंग रोड और सारनाथ के बीच एक सड़क पुल, शहर के भिखारीपुर और मंडुआडीह क्रॉसिंग पर फ्लाईओवर और वाराणसी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एनएच-31 पर 980 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली एक राजमार्ग अंडरपास सड़क सुरंग का शिलान्यास करेंगे।
ये आंकड़े narendramodi.in से लिए गए हैं।
काशी के कायाकल्प की कहानी
पीएम मोदी के पिछले 11 सालों के कार्यकाल में डबल इंजन की सरकार से काशी को करीब 1 लाख करोड़ के योजनाओं का लाभ मिला। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च हुए। काशी में पर्यटन के आकार को विस्तार देने के लिए सारनाथ पर भी करीब 130 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं, गंगा में क्रूज बोट चलवाए गए। काशी में पर्यटकों को ठहरने में और आम लोगों को भी मुश्किलों से बचाने के लिए 10 विद्युत उपकेंद्र पर 293 करोड़ रुपए खर्च किए गए। काशी विश्वनाथ, सारनाथ समेत तमाम योजनाओं में जिन श्रमिकों ने काम किया उनका भी प्रधानमंत्री ने सम्मान तो किया ही, लेकिन साथ में इन्हें बनाने वाले श्रमिकों के लिए भी 20 से ज्यादा योजनाएं चलाईं।
2014 से पहले वाराणसी के सिर्फ 2 उत्पादों को जीआई टैग मिला था, लेकिन 2024 तक वाराणसी के 21 उत्पादों को जीआई टैग मिल गया था। वाराणसी से जुड़े 11 जिलों के 22 लाख लोगों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जीआई उत्पादों से जुड़कर लगभग 28.5 हजार करोड़ का वार्षिक कारोबार किया। आलम ये है कि बनारसी लंगड़ा आम, बनारसी पान, रामनगर भंट, आदमचीनी चावल को जीआई प्रमाणपत्र प्राप्त होने के कारण किसानों की आय में वृद्धि हुई है. 2014 से पहले कृषि निर्यात शून्य था और 2024 में ये 1424 मिट्रिक टन कृषि उत्पादों का निर्यात वाराणसी से हुआ।
मोदी 2.0 2019 में वाराणसी से दोबारा जीतकर प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने भावुक होकर कहा था, “काशी के फक्कड़पन में यह फकीर भी रम गया।” इस कार्यकाल में काशी के कायाकल्प को और गति मिली। काशी विश्वनाथ धाम, घाटों का सौंदर्यीकरण, बिजली की बेहतर आपूर्ति, एलईडी वितरण और फ्लाईओवर-सड़क निर्माण जैसे कामों ने शहर को नई पहचान दी। मोदी सरकार की योजनाओं से श्रमिकों, कारीगरों और उद्यमियों को न सिर्फ सम्मान मिला, बल्कि स्वरोजगार और लोन योजनाओं से हजारों को रोजगार भी मिला।
मोदी 3.0 (2024-वर्तमान) तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में मोदी ने कहा, “अब लगता है मां गंगा ने बुलाया नहीं, मुझे गोद लिया है।” उन्होंने कहा कि 10 साल बीत गए। काशी से इतना नाता जुड़ गया कि अब मैं कभी भी बोलता हूं तो यही कहता हूं- मेरी काशी, इसलिए एक मां बेटे के जैसा रिश्ता। वो रिश्ता है मेरा, मेरी काशी के साथ।