नाम जुड़वाने के लिए मिलेंगे 30 दिन
इसमें कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी तथा सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारियों ने यह बताया है कि SIR आदेश के पृष्ठ 3, अनुच्छेद 7(5) के अनुसार, किसी भी निर्वाचक या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक पूरे एक माह का समय मिलेगा, ताकि वे – यदि कोई पात्र मतदाता बीएलओ/बीएलए द्वारा छूट गया हो तो उसका नाम जुड़वा सकें, या यदि कोई गलती से शामिल कर दिया गया हो तो उसका नाम हटवा सकें। अर्थात ‘निर्वाचक या मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल 1 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक उस पात्र मतदाता का नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकते हैं, जो बीएलओ/बीएलए से छूट गया हो। इसी के साथ, यदि कोई गलती से शामिल कर दिया गया हो तो उसका नाम भी हटवा पाएंगे।’
विशेष गहन पुनरीक्षण पर सियासी संग्राम
विशेष गहन पुनरीक्षण पर सवाल खड़ा करने पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपने बांका के सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पार्टी की ओर से उनसे 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है।सांसद गिरधारी यादव को जदयू की ओर यह नोटिस पार्टी लाइन से अलग बयान देने के आरोप में दिया गया है। जदयू सांसद के इस बयान से जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व नाराज हो गया। पार्टी का कहना है कि गिरधारी यादव का यह बयान पार्टी की आधिकारिक स्थिति से मेल नहीं खाता और इससे संगठन की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। संवैधानिक संस्थाओं पर सार्वजनिक टिप्पणी को पार्टी ने गंभीरता से लिया है।
सांसद ने क्या कहा था?
सांसद गिरधारी यादव बुधवार को चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए SIR को “तुगलकी फरमान” करार देते हुए कहा था कि यह आम लोगों के लिए परेशानी भरा है। मुझे खुद अपने नाम को वोटर लिस्ट में अपडेट कराने में 10 दिन लग गए। चुनाव आयोग को बिहार के हालात और लोगों की समस्याओं की समझ नहीं है।
राहुल गांधी ने कहा चुनाव में गड़बड़ी के 100% सबूत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह बहुत गंभीर मामला है। चुनाव आयोग भारत के चुनाव आयोग की तरह काम नहीं कर रहा है। हाल के दिनों में उन्होंने कुछ बयान दिया है, यह पूरी तरह से गलत है। सच तो यह है कि चुनाव आयोग अपना काम नहीं कर रहा है।” राहुल गांधी ने आगे कहा कि कर्नाटक की एक सीट पर चुनाव आयोग ने गड़बड़ी करने दी, जिसके 90 प्रतिशत नहीं बल्कि 100 प्रतिशत ठोस सबूत हैं। मुझे यकीन है कि हर निर्वाचन क्षेत्र में यही नाटक चल रहा है। हजारों नए मतदाता बनाए गए, लेकिन उनकी उम्र 50 साल, 45 साल या 60 साल है।”