रोजमर्रा की जिंदगी में छुपे नस्लवाद के नमूने जेसिका ने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, ‘यह केवल एक नमूना है उस रंगभेद, नस्लवाद और गोरी चमड़ी व पश्चिमी पासपोर्ट की पूजा का, जिससे मैं आएदिन दो-चार होती हूं।’ वीडियो में दिखाए गए कमेंट्स पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी—’हमेशा वही ग्रीन कार्ड वाली बात’, ‘ओह माय गॉड, हां! बहुत रिलेटेबल है।’ एक यूजर ने लिखा, ‘तुम अब तक यहीं हो? बच्चों की त्वचा कितनी हल्की है ना?’— ये बातें दर्शाती हैं कि रंग और नस्ल को लेकर मानसिकता कितनी संकीर्ण है।
भारत की ही नहीं, यह समस्या वैश्विक है वीडियो को लेकर कई लोगों ने भारत से बाहर की स्थितियों को भी उजागर किया। एक कमेंट में कहा गया, ‘सिर्फ भारत नहीं, मेक्सिको, अफ्रीका, एशिया… हर गैर-श्वेत देश में यही होता है।’ 2025 में भी ऐसी बातें सामने आना कई लोगों को व्यथित कर गया। एक ने लिखा, ‘यह दुखद है कि लोग सिर्फ अपना जीवन जी रहे लोगों को भी बख्शते नहीं।’ एक यूजर ने लिखा, ‘पॉइंट ऑफ व्यूः चुनौतियों को अवसर में बदलना चाहिए।’