आरोपी रत्नाकर पर दर्ज हैं दर्जनों केस
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले के मुख्य आरोपी रत्नाकर उपाध्याय के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत 12 से अधिक मामले दर्ज हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सराहनीय कार्रवाई को देखते हुए रेंज आईजी दीपक झा ने पुलिस टीम को नकद इनाम देने की घोषणा की है। जशपुर एसएसपी शशि मोहन सिंह के निर्देशन में एसडीओपी धुर्वेश जायसवाल के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस दल को दिल्ली भेजा गया। पूरी योजना इस तरह तैयार की गई कि पुलिस ने खुद को एक केंद्रीय मंत्रालय का अधिकारी बताते हुए 1000 करोड़ रुपये की फर्जी डील का प्रस्ताव देकर आरोपियों को जाल में फंसा लिया। इस फर्जी सौदे के लिए उन्हें दिल्ली के ताज होटल में बुलाया गया।
मॉडल असिस्टेंट और रंगीन कोट-पैंट में पहुंची पुलिस
गिरफ्तारी के दौरान आरोपियों ने जमकर विरोध किया और एसडीओपी पत्थलगांव पर हमला भी किया। हालांकि, अधिकारी ने साहस का परिचय देते हुए उन्हें मौके पर ही काबू में रखा और दिल्ली पुलिस के पहुंचने तक गिरफ्त में रखा। मुख्य आरोपी रत्नाकर उपाध्याय तक पहुंचने के लिए पुलिस ने बेहद फिल्मी तरीका अपनाया। अनिता उपाध्याय को शक न हो, इसके लिए एक स्थानीय मॉडल को अफसर का असिस्टेंट बनाकर भेजा गया। अधिकारी ने भी सादी वेशभूषा में रंगीन कोट-पैंट पहनकर मंत्रालय अधिकारी की भूमिका निभाई। होटल की बैठक के बहाने अनिता को झांसे में लिया गया, जिससे रत्नाकर की लोकेशन की पुष्टि हुई।
दिल्ली की सड़कों पर पीछा और मेडिकल स्टोर के पास गिरफ्तारी
रत्नाकर लगातार मोबाइल लोकेशन बदलकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी। आखिरकार, सागरपुर इलाके के एक मेडिकल स्टोर के पास उसे धर दबोचा गया। गिरफ्तारी के समय उसने खुद को अगवा बताया और एसडीओपी पर हमला करने की कोशिश भी की, लेकिन अफसर ने बहादुरी दिखाते हुए उसे मौके से भागने नहीं दिया और दिल्ली पुलिस के पहुंचने तक हिरासत में रखा। जांच में पता चला कि रत्नाकर ने 2023 में कंपनी का डायरेक्टर पद छोड़ अनिता उपाध्याय को दिखावटी डायरेक्टर बना दिया। जब भी ठगी का मामला सामने आता, दोनों एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे, जिससे जांच को गुमराह किया जा सके। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह के पास लखनऊ में 24 फ्लैट, दिल्ली में 2 फ्लैट और एक रेंज रोवर गाड़ी है जिसकी अनुमानित कीमत ढाई करोड़ रुपये है। सभी संपत्तियों पर जल्द ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
CSR योजनाओं के नाम पर करते थे धोखाधड़ी
गिरोह ने 15 राज्यों में एजेंटों के माध्यम से CSR फंड से जुड़ी योजनाओं में लाभ दिलाने का झांसा देकर व्यापारियों से मोटी रकम वसूली। सिक्योरिटी मनी, प्रोसेसिंग फीस और नकद रिश्वत के नाम पर पैसा लिया जाता था। सामान की सप्लाई के बाद चेक तो दिए जाते थे, लेकिन वह बाउंस हो जाते और कैश कभी नहीं मिलता। इस साहसिक और सटीक कार्रवाई को देखते हुए रायगढ़ रेंज के आईजी दीपक झा ने पूरी पुलिस टीम को नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। इस ऑपरेशन में एसडीओपी धुर्वेश जायसवाल, निरीक्षक विनीत पांडे, अमित तिवारी, एएसआई लखेश साहू, प्रधान आरक्षक अनंत मिराज और महिला आरक्षक रिंपा पैंकरा की विशेष भूमिका रही।
करोड़ों की संपत्तियों का भी हो रहा खुलासा
पत्थलगांव थाने में आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 316 (2)(5), 318 (4), 336 (1)(3), 338, 340 (2), 341 (1), 346 और 61 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच के दौरान यह सामने आया है कि रत्नाकर उपाध्याय के पास लखनऊ में 24 फ्लैट्स, दिल्ली में 2 फ्लैट्स और करीब ढाई करोड़ रुपये की रेंज रोवर गाड़ी है। जो अवैध रूप से अर्जित धन से खरीदी गई बताई जा रही हैं। पुलिस अब सभी आरोपियों की संपत्तियों की भी जांच कर रही है, जिन पर आगे कानूनी कार्यवाही की जाएगी।