सीबीआई की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उसने प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों और बैंकों के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं, जिन पर हजारों फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है। यह जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के निर्देशों के अनुपालन में की जा रही है।
इन रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ नामजद एफआईआर
सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों को नामजद किया गया है। इसमें जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड, अजनारा इंडिया लिमिटेड,वाटिका लिमिटेड, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, सुपरटेक लिमिटेड और आइडिया बिल्डर्स शामिल हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने प्रोजेक्ट्स के नाम पर ग्राहकों से मोटी रकम ली, लेकिन वर्षों बाद भी न तो फ्लैट दिए और न ही पैसा वापस किया। इसके साथ ही बैंकों से भारी लोन लेकर प्रोजेक्ट्स अधूरे छोड़ दिए गए।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों की भी जांच
सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा की जांच में कई बड़े बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां भी निशाने पर आई हैं। जिन संस्थानों के खिलाफ प्राथमिकी में नाम दर्ज किया गया है। उनमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, पीरामल फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस और पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड शामिल हैं। आरोप है कि इन संस्थानों ने बिल्डरों को लोन देते समय नियमों की अनदेखी की और बिना पूरी जांच के मोटी रकम जारी की, जिससे आम लोगों को नुकसान हुआ।
47 ठिकानों पर की गई छापेमारी
सीबीआई ने दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में 47 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी ने बड़ी संख्या में दस्तावेज, डिजिटल डिवाइसेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए हैं। इनसे यह जानने की कोशिश की जा रही है कि किस स्तर पर बिल्डरों और बैंक अधिकारियों के बीच मिलीभगत हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना कार्रवाई का आधार
बता दें कि कई सालों से दिल्ली-एनसीआर में फ्लैट खरीदार बिल्डरों के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे थे। उनके द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस पूरे मामले की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा था कि यह मामला महज एक प्राइवेट विवाद नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर आम नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन का है।
क्या आगे होगा?
सीबीआई की इस शुरुआती कार्रवाई को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगर जांच में यह साबित होता है कि बिल्डर-बैंक गठजोड़ के जरिए आम लोगों को योजनाबद्ध तरीके से ठगा गया है, तो आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां और चार्जशीट दाखिल की जा सकती हैं।