भारत का युवा टेक टैलेंट होगा प्रभावित?
हर साल भारत में करीब 15 लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते हैं। वे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में जॉब का सपना देखते हैं। 2024 में ही गूगल ने भारत में करीब 2000 नई नियुक्तियां की थीं। भर्तियां बंद हुई तो कॅरियर प्रभावित होंगे और टेक सेक्टर में पहले से मौजूद 6.8 फीसदी की बेरोजगारी दर (सीएमआइई) और बढ़ सकती है।
क्या लोकल टेक इंडस्ट्री में टैलेंट का संकट खड़ा होगा?
ग्लोबल कंपनियों से प्रशिक्षित टैलेंट भारत के स्टार्टअप्स की रीढ़ हैं। भर्तियां रुकने से न केवल अनुभवी प्रोफेशनल्स की कमी होगी, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिजिटल ग्रोथ की रफ्तार भी धीमी पड़ेगी। भारत के करीब 1 लाख स्टार्टअप्स इस टैलेंट पूल पर निर्भर हैं।
क्या अमरीका को टैलेंट की कमी से जूझना पड़ेगा?
अमेरिकी कंपनियां भारत से कुशल तकनीकी विशेषज्ञों को कम लागत पर हायर करती हैं। भारत की 40 फीसदी वर्कफोर्स रिमोट अमेरिकी प्रोजेक्ट्स पर काम करता है। हायरिंग रुकने पर लागत 20-25 फीसदी तक बढ़ सकती है, और भारत-अमेरिका तकनीकी साझेदारी कमजोर हो सकती है।
क्या भारत की जीडीपी को नुकसान होगा?
आइटी सेक्टर भारत की जीडीपी में करीब 7.5 फीसदी का योगदान देता है। बड़ी टेक कंपनियां अरबों डॉलर का एफडीआइ लाती हैं। भर्तियां रुकने से निवेश, टैक्स संग्रह, डिजिटल इकॉनमी, और बेंगलूरु, हैदराबाद व पुणे जैसे शहरों की लोकल इकोनॉमी पर प्रतिकूल असर दिखेगा।
संकट के बीच अवसर भी
यदि विदेशी कंपनियां नौकरियां रोकती हैं, तो भारतीय कंपनियों को बेहतर मैनपावर मिल सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को बल मिलेगा। सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर आरएंडडी और इनोवेशन पर फोकस करें, तो भारत टेक सुपरपावर बन सकता है।