अचानक दिया इस्तीफा
उन्होंने लिखा कि सोमवार दोपहर कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री व बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और विपक्षी सांसद शामिल हुए। कुछ मुद्दों पर चर्चा के बाद बैठक शाम 4.30 बजे के लिए स्थगित कर दी गई। रात 9.25 बजे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया।
विदाई समारोह आयोजित नहीं की गई
चिदंबरम ने लिखा कि किसी भी पार्टी ने खासकर भाजपा और उनके सांसदों ने उनसे इस्तीफा वापस लेने की गुजारिश नहीं की। 22 जुलाई को उपसभापति ने उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने की घोषणा की। मोदी सरकार ने बिना किसी शोर-शारबे और धूमधाम से उपराष्ट्रपति की विदाई की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को पूर्व उपराष्ट्रपति का ऋणी होना चाहिए। धनखड़ ने राज्यसभा में मोदी सरकार के लिए टैकल (रक्षात्मक खिलाड़ी) की भूमिका निभाई। उन्होंने एक देश एक चुनाव, संविधान, और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कई बार बचाव किया। धनखड़ ने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय की कई बार आलोचना की।
चिदंबरम ने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद जगदीप धनखड़ राजनीतिक रूप से पुनर्जीवित जरूर हुए थे, लेकिन उनके उठाए गए कदमों से राज्यपाल पद की गरिमा गिरी थी। विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पाने वाले पहले उपराष्ट्रपति रहे। इन सब के बावजूद आखिर किस वजह से उपराष्ट्रति और भाजपा व संघ के बीच दरार पड़ी। चिदंबरम ने अंत में लिखा कि जिंदगी एक रहस्य है और कभी-कभी कुरूप भी।
सरकार और उपराष्ट्रपति में टकराव की स्थिति
सियासी गलियारों में चर्चा है कि जगदीप धनखड़ के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashvant Varma Case) मामले को लेकर उठाए गए कदमों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सख्त नाराज थे। मोदी सरकार के दो मंत्रियों किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा ने यह बात जगदीप धनखड़ को बताई भी थी। उपराष्ट्रपति और सरकार के बीच बीते 6 महीनों से कई बातों को लेकर विवाद भी था। जो जस्टिस यशवंत वर्मा मामले के बाद बहुत बढ़ गया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जस्टिस वर्मा वाले मामले में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से कहा था कि लोकसभा में महाभियोग चलाने की प्रक्रिया होती है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए लाए गए नोटिस पर साइन किए हैं। इस पर धनखड़ ने जवाब दिया कि वह नियमों के मुताबिक ही काम कर रहे हैं।
धनखड़ के इस रवैये के बाद उनके खिलाफ सीधी कार्रवाई होने वाली थी। इससे पहले धनखड़ बिना किसी सूचना के राष्ट्रपति भवन पहुंचे। इससे राष्ट्रपति भवन में हड़कंप मच गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उपराष्ट्रपति धनखड़ से मिलने में वक्त लगा। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया।