कांग्रेस नेतृत्व को थरूर ने चर्चा में हिस्सा लेना से मना किया
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व ने थरूर से पूछा था कि क्या वह चर्चा में हिस्सा लेना चाहेंगे, लेकिन उन्होंने असहमति जताई। इससे उनके और पार्टी के बीच मतभेदों की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
थरूर विदेश भेजे गए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे
ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी बहस में थरूर विदेश भेजे गए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस दौरान उनकी कुछ टिप्पणियों को पार्टी के अंदर ही आलोचना का सामना करना पड़ा था।
पाकिस्तान अब इसे समझ चुका है
वहीं पांडा ने मोदी सरकार की नीति की तारीफ करते हुए कहा, “यह केवल प्रतिक्रिया नहीं थी, यह मोदी सिद्धांत है – जो पाकिस्तान को सीधा संदेश देता है।” उन्होंने कहा कि यह नया सामान्य है और पाकिस्तान अब इसे समझ चुका है।
पहले की सरकारें जवाब देने से बचती थीं
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की नीति पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संबंध बेहतर बनाने की रही है। उन्होंने कहा, “पहले की सरकारें जवाब देने से बचती थीं, लेकिन अब भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।”
ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था
पांडा ने यह साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, आम नागरिकों को नहीं। विपक्ष पाकिस्तान पर सवाल नहीं उठाता
उन्होंने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि वह पाकिस्तान पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि भारतीय सेना की नीयत पर ही सवाल खड़े करता है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
थरूर के मौन व्रत से सियासी तूफान
बहरहाल भाजपा सांसद की यह टिप्पणी कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों को उजागर करती दिख रही है। थरूर की “मौन व्रत” की टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।
क्या शशि थरूर वाकई पार्टी से नाराज हैं ?
कांग्रेस में अंदरूनी संवाद और नेता-प्रवक्ता चयन की प्रक्रिया पर अब सवाल उठ सकते हैं। पार्टी के भीतर लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठे
थरूर जैसे वरिष्ठ नेता को अगर लोकसभा में बोलने नहीं दिया जाता तो पार्टी के भीतर लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं।
वक्ताओं के चयन को लेकर नए सिरे से मंथन संभव
कांग्रेस की मीडिया रणनीति और मंच पर वक्ताओं के चयन को लेकर नए सिरे से मंथन संभव है।