उपराष्ट्रपति पद की रेस में रामनाथ ठाकुर (Ramnath Thakur), थावर चंद गहलोत (Thawar chand gahlot), ओम माथुर (Om mathur), हरवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) का नाम आगे चल रहा है। हालांकि, बीजेपी (BJP) हर बार की भांति इस बार फिर किसी नए चेहरो को आगे लाकर सबको चौंका सकती है।
रामनाथ ठाकुर: बुधवार देर शाम भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर से मुलाकात की। इसके बाद ठाकुर के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होने को लेकर कयास लगाए जाने लगे। कहा जाने लगा कि भारतीय जनता पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए रामनाथ ठाकुर को उपराष्ट्रपति बना सकती है। रामनाथ ठाकुर, भारत रत्न व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। वह ओबीसी समुदाय से आते हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था।
थावरचंद गहलोत: थावर चंद गहलोत बीजेपी के कद्दावर नेता रह चुके हैं। वह अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। दलित समुदाय से आने वाले गहलोत एमपी से कई बार राज्यसभा सांसद रहे हैं। वह राज्यसभा में सदन के नेता भी रहे हैं। वह बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। गहलोत ने मोदी सरकार के कार्यकाल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली है। थावर चंद गहलोत विवादों से दूर रहने वाले नेता माने जाते हैं। प्रशासनिक अनुभव, जातीय समीकरण और पीएम मोदी के करीबी होने के कारण वह रेस में आगे चल रहे हैं।
ओम माथुर: थावर चंद गहलोत की तरह ही ओम माथुर की भी गिनती बीजेपी के कद्दावर नेता के रूप में होती थी। वह वर्तमान में सिक्कम के राज्यपाल हैं। उन्होंने भाजपा में रहते हुए राजस्थान, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली थी। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी रहते हुए उन्होंने कई राज्यों में सफलता दिलाई। माथुर को शाह और मोदी दोनों का ही करीबी माना जाता है।
आरिफ मोहम्मद खान: आरिफ मोहम्मद खान वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं। खान को उपराष्ट्रपति बनाकर मोदी सरकार चौंका सकती है। बीजेपी सरकार में किसी बड़े पद पर कोई भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। ऐसे में बीजेपी यदि आरिफ मोहम्मद खान को उम्मीदवार बनाती है तो विपक्ष के सारे दांव धरे के धरे रह सकते हैं। आरिफ राजीव गांधी की सरकार में मंत्री की भूमिका भी निभा चुके हैं।
हरिवंश नारायण सिंह: हरिवंश फिलहाल राज्यसभा में उपसभापति हैं। वह जदयू कोटे से सांसद निर्वाचित हुए थे। पत्रकारिता करियर के दौरान वह पहले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीब आए। राज्यसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद NDA ने उप सभापति के रूप में नामित किया। हरिवंश लगातार मोदी सरकार प्रशंसा करते रहे हैं। सौम्य छवि के हरिवंश को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा बिहार को संदेश दे सकती है। हरिवंश के नाम से JDU को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। वह फ्लोर मैनेज करने में भी माहिर हैं।
क्या कहता है अंकगणित दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव आयोजित कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव “राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952” तथा “राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974” के अंतर्गत संपन्न कराया जाता है।
उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद वोट डालते हैं। दो सदनों के कुल सांसदों की संख्या 786 है, चुनाव जीतने के लिए 394 वोटों की जरूरत होगी। दोनों सदनों को मिलाकर NDA के पास 422 सांसदों का आंकड़ा है, जबकि इंडिया गठबंधन के पास 313 का संख्याबल है। इसके अलावा 51 अन्य है। अन्य में आम आदमी पार्टी, बीजेडी, वाइआरएस कांग्रेस और अन्य छोटे दल शामिल है। लिहाजा एनडीए को अपना प्रत्याशी जीताने में कोई दिक्कत नहीं होगी
बता दें कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की शाम अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।