फर्जी पहचान पत्र से भारत में प्रवेश
जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि कई प्रवासियों ने किराए पर मकान लेकर फर्जी भारतीय पते के आधार पर आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज बनवा लिए थे। यही दस्तावेज उन्हें लंबे समय तक देश में रहने में मदद कर रहे थे।
जल्द की जाएगी बांग्लादेश वापसी
जो 10 लोग बांग्लादेशी निकले हैं, उन्हें ट्रेन या बस के माध्यम से सीमा पर ले जाकर बीएसएफ को सौंपा जाएगा। सीमा सुरक्षा बल उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश वापस भेजेगा।
बंगाली मजदूरों में डर का माहौल
इस अभियान के बाद बंगाली भाषा बोलने वाले प्रवासी मजदूरों में डर का माहौल है। कई परिवार गुरुग्राम छोड़ चुके हैं, जिससे शहर की हाउसकीपिंग और घरेलू सेवाओं पर असर पड़ा है।
किसी भी समुदाय को टारगेट नहीं किया जा रहा
जिला प्रशासन ने जानकारी दी है कि किसी भी समुदाय को टारगेट नहीं किया जा रहा है, बल्कि अभियान का मकसद केवल अवैध प्रवासियों की पहचान करना है। पश्चिम बंगाल सरकार को सत्यापन के लिए डिटेल भेज दी गई है, लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है।
सुरक्षा विशेषज्ञों की चिंता
“इस तरह की लापरवाही देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। फर्जी पहचान पत्रों से देश में घुसपैठ अब बहुत आसान हो गया है।” स्थानीय लोगों की नाराजगी
गुरुग्राम के निवासियों ने सवाल उठाए हैं कि इतने सालों से ये अवैध प्रवासी कैसे खुलेआम रह रहे थे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार से पूछा – क्या अवैध प्रवासियों को पकड़ने की कार्रवाई चुनाव के बाद क्यों हो रही है ? संवेदनशील मुद्दा और सुलगते सवाल
बांग्लादेशी नागरिकों ने भारतीय दस्तावेज कैसे बनाए ? कौन से अफसर या लोकल एजेंट इसमें शामिल हैं? क्या इनकी जांच होगी? पुलिस की अगली कार्रवाई क्या होगी? क्या रोहिंग्या या अन्य देशों के नागरिक भी इस रडार पर हैं? क्या प्रवासी मजदूरों की वैधता जांच होगी ?
पश्चिम बंगाल, असम, बिहार के अन्य प्रवासी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
फर्जी पहचान पत्र का पूरा रैकेट
अवैध प्रवासी कैसे किराए के मकान, आधार कार्ड, पते आदि बनवा लेते हैं। इस पर अलग से रिपोर्ट पेश करने की जरूरत है। हाउसहोल्ड सर्विस सेक्टर पर असर अवैध प्रवासियों के हटने के बाद घरेलू काम, सफाई और कंस्ट्रक्शन वर्क में कमी। स्थानीय निवासियों की सतर्कता कैसे स्थानीय लोग अपने किराएदारों की पहचान सत्यापित कर सकते हैं ?