जानकारी के मुताबिक, हर्षल पाटिल ने यह ठेका कार्य स्थानीय साहूकार से कर्ज लेकर पूरा किया था। मगर सरकार की ओर से समय पर भुगतान न होने की वजह से उन पर आर्थिक संकट मंडराने लगा। इसके चलते बुधवार को उन्होंने अपने ही खेत में पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी।
यह खबर सामने आने के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई है। घटना के बाद एनसीपी (शरद पवार गुट) के वरिष्ठ नेता जयंत पाटील ने सरकार पर कटाक्ष किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “सरकार की लापरवाही और भ्रष्ट व्यवस्था के कारण आज एक होनहार युवा ठेकेदार की जान गई। हर्षल ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य किया, पर भुगतान न मिलने से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। यह सरकार की असंवेदनशीलता और फेल अर्थव्यवस्था का परिणाम है।”
जयंत पाटिल ने आगे कहा कि सरकार ने चुनाव जीतने के लिए बजट की परवाह किए बिना बड़े-बड़े टेंडर बांटे, मगर अब जब ठेकेदार काम पूरा कर चुके हैं, तो उन्हें भुगतान नहीं दिया जा रहा। यह हाल किसी एक विभाग का नहीं, सभी विभागों का है। इसलिए मुझे डर है कि जिस तरह से राज्य में किसानों की आत्महत्याएं बढ़ती जा रही हैं, वैसे ही अब ठेकेदारों की आत्महत्याओं का सिलसिला न शुरू हो जाए, इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
विपक्ष भले ही इस मामले को लेकर सरकार को घेर रहा है, लेकिन अब सवाल यह भी उठता है कि हर्षल जैसे युवाओं की मौत का जिम्मेदार कौन है? और क्या सरकार अब भी आंखें मूंदे रहेगी, या ठोस कदम उठाकर सभी विभागों में बकाया भुगतानों का निपटारा करेगी? फिलहाल पुलिस इस मामले कि गहन जांच में जुट गई है।