बता दें, इस दुखद हादसे में सात बच्चों की मौत हुई थी और करीब 27 बच्चे घायल हुए थे। राजे ने मनोहरथाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में भर्ती घायल बच्चों से भी मुलाकात की और डॉक्टरों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली।
हादसा टाला जा सकता था- राजे
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह हादसा टाला जा सकता था, यदि जर्जर भवन को पहले असुरक्षित घोषित कर बच्चों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाता। उन्होंने शिक्षा विभाग से सभी स्कूल भवनों का सर्वेक्षण कराने और जर्जर इमारतों में पढ़ रहे बच्चों को तुरंत सुरक्षित स्कूलों में भेजने की मांग की। वसुंधरा राजे ने मानसून के दौरान जर्जर भवनों से बढ़ते खतरे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में जर्जर स्कूल भवनों को तत्काल गिराकर नई और आधुनिक इमारतों का निर्माण जरूरी है, ताकि बच्चों की जान को जोखिम में न डाला जाए।
उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की घोषणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा और राशन जैसे मुद्दों पर काम किया जाएगा। साथ ही, गांव की स्थिति सुधारने के लिए जल्द समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। राज्य सरकार ने हादसे में मारे गए प्रत्येक बच्चे के परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे और एक परिजन को संविदा नौकरी देने की घोषणा की है। इसके अलावा, स्कूल भवन का पुनर्निर्माण किया जाएगा और नई कक्षाओं का नाम मृतक बच्चों की स्मृति में रखा जाएगा।
संविदा नौकरी का ऑफर लेटर सौंपा
वसुन्धरा राजे ने इस हादसे में दो बच्चों को खोने वाले परिवार को संविदा नौकरी का ऑफर लेटर सौंपा। उन्होंने बताया कि अन्य परिवारों के लिए भी ऑफर लेटर जल्द सौंपे जाएंगे। हालांकि, पीड़ित परिवार मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि 10 लाख रुपये बच्चों की जान की कीमत के मुकाबले बहुत कम हैं। साथ ही, संविदा नौकरी की सैलरी और अवधि को लेकर स्पष्टता न होने से वे नाराज हैं। परिवारों ने हादसे के लिए जिम्मेदार स्कूल प्रबंधन और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।