CG News: 7 साल बाद भी नहीं खुद का भवन
कॉलेज की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। फर्श पर पानी भर जाता है और छात्रों को बैठने तक में परेशानी होती है। बावजूद इसके, जिम्मेदार विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। कॉलेज में पढ़ाई के लिए आने वाले छात्र और छात्राएं भी इस बदहाल व्यवस्था से परेशान हैं। कॉलेज के कई कमरे पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। जहां बैठना खतरे से खाली नहीं है। शिक्षक भी पानी टपकने के कारण कक्षाओं में पढ़ाने से कतराते हैं। बरसात के दौरान छतों से लगातार टपकते पानी के कारण किताबें और अन्य शैक्षणिक सामग्री भी खराब हो रही है।
वर्षों से की जा रही मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉलेज की यह स्थिति कोई नई नहीं है। कई वर्षों से मरम्मत की मांग की जा रही है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
विभागीय कागजों में मरम्मत और रखरखाव के नाम पर बजट तो पास होता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ऐसा लगता है मानो कॉलेज अब केवल कागजों में ही जीवित रह गया है। छात्रों और अभिभावकों ने मांग की है कि जल्द से जल्द कॉलेज के लिए नया भवन का निर्माण किया जाए।
उच्च शिक्षा विभाग बेखबर
उच्च शिक्षा विभाग को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि ग्रामीण अंचल के बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिल सके। बिर्रा
कॉलेज की दुर्दशा से यह स्पष्ट हो गया है कि शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी अब आम बात हो चुकी है। सवाल यह उठता है कि क्या विभाग केवल फाइलों तक ही सीमित रह जाएगा या कभी जमीनी सच्चाई से भी रूबरू होगा।
प्राचार्य डीएल डहरिया ने कहा की बीते 7 साल से कालेज भवन जुगाड़ के भवन में संचालित हो रहा है। इसके लिए हमने कई बार दर्जनों अफसर नेताओं से शिकायत कर चुके लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कलेक्टर को इस संबंध में अवगत करा चुके लेकिन वे भी बेबस नजर आए। जबकि भवन पूरी तरह से जर्जर स्थिति में है।