हालांकि, सियासी गलियारों में चर्चा है कि जानू का निष्कासन उनके हालिया वायरल वीडियो से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने बीजेपी नेतृत्व, जाट नेताओं की चुप्पी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार में कथित तिरस्कार को लेकर पार्टी पर हमला बोला था। इस वीडियो ने बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में तूफान ला दिया, बल्कि जाट समुदाय के बीच असंतोष को भी हवा दे दी।
वायरल वीडियो ने मचाया तहलका
दरअसल, बीते गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कृष्ण कुमार जानू ने बीजेपी के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पूर्व राज्यपाल और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्यपाल मलिक के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान न दिए जाने को तिरस्कारपूर्ण करार दिया। जानू ने जाट समुदाय से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि सत्यपाल मलिक जैसे बड़े नेता के साथ ऐसा व्यवहार देखकर मन आहत हुआ है। यह अपमान सिर्फ मलिक का नहीं, पूरे जाट समुदाय का है। आज यह उनके साथ हुआ, कल यह आपके साथ भी हो सकता है।
धनखड़ की विदाई पर भी सवाल उठाए
जानू यहीं नहीं रुके, उन्होंने उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ की विदाई पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि धनखड़ जी ने उपराष्ट्रपति पद से असामान्य तरीके से इस्तीफा दिया। न तो उनके लिए विदाई भाषण हुआ, न ही कोई फेयरवेल पार्टी। यह सरकार का अहंकार है। जानू ने बीजेपी पर अपने अनुभवी और जमीनी नेताओं को हाशिए पर ढकेलने का आरोप लगाया। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, प्रवीण तोगड़िया, संजय जोशी, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि पार्टी ने इन नेताओं को दरकिनार कर तानाशाही रवैया अपनाया है।
जाट नेताओं की चुप्पी पर सवाल
जानू ने बीजेपी के भीतर जाट नेताओं की चुप्पी को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जाटों की संस्कृति कभी अन्याय के सामने झुकने वाली नहीं रही। गुरु नानक, जांभोजी महाराज और दयानंद सरस्वती जैसे महापुरुषों की प्रेरणा लेने वाला जाट समुदाय आज पार्टी के भीतर अन्याय पर चुप क्यों है? उन्होंने जाट नेताओं से अपील की कि वे सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ के साथ हुए कथित अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
जानू ने कहा कि जो डर के कारण अपने सिद्धांतों से समझौता करता है, वह जाट नहीं हो सकता।जानू ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी गलत ट्रैक पर जा रही है और अपने मूल सिद्धांतों से भटक रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पार्टी ने अपने जमीनी नेताओं की उपेक्षा और तानाशाही रवैया नहीं छोड़ा, तो जनता एक दिन इसे सबक सिखाएगी।
कारण बताओ नोटिस और निष्कासन
बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर जानू के निष्कासन का कारण 20 जून 2025 को जारी कारण बताओ नोटिस को बताया। यह नोटिस झुंझुनूं जिला अध्यक्ष हर्षिनी कुल्हारी की नियुक्ति पर जानू की टिप्पणियों के कारण दिया गया था। पार्टी का कहना है कि जानू ने न केवल नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया, बल्कि इसके बाद भी सार्वजनिक मंचों पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी जारी रखी। शुक्रवार शाम को राजस्थान बीजेपी की अनुशासनात्मक समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने आदेश जारी कर जानू को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। आदेश में कहा गया कि कृष्णकुमार जानू का आचरण पार्टी की नीतियों और अनुशासन के खिलाफ है। उनके लगातार पार्टी विरोधी बयानों और असंतोषजनक जवाब के चलते यह कार्रवाई की गई है।
पहले भी हो चुका है निष्कासन
यह पहली बार नहीं है जब जानू को बीजेपी से निष्कासित किया गया है। 2006 में भी उन्हें छह साल के लिए पार्टी से बाहर किया गया था, जब उन्होंने झुंझुनूं में नए जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नेताओं से कथित तौर पर अभद्रता की थी। उस समय तत्कालीन मंत्री कालीचरण सर्राफ भी मौजूद थे। फिर 2022 में उनकी पार्टी में वापसी हुई और 2023 में उन्हें प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, इस बार उनका निष्कासन जाट समुदाय और बीजेपी के बीच तनाव को और गहरा सकता है।
पार्टी में अंदरूनी कलह का संकेत?
जानू का निष्कासन बीजेपी के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान को भी उजागर करता है। हाल के वर्षों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर ढकेलने की शिकायतें सामने आती रही हैं। जानू ने अपने बयान में जिन नेताओं का जिक्र किया- लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान। ये सभी बीजेपी के उन चेहरों में शामिल हैं, जिन्हें पार्टी के केंद्रीकृत नेतृत्व ने कथित तौर पर दरकिनार किया है।