Rajasthan: बीजेपी कार्यकारिणी की लिस्ट वायरल, जयपुर से दिल्ली तक क्यों मचा बवाल? बड़ा एक्शन संभव
Rajasthan BJP: राजधानी जयपुर में भारतीय जनता पार्टी की शहर इकाई में कार्यकारिणी सूची के लीक होने और उसमें सिफारिशों के आधार पर नियुक्तियों को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
Rajasthan BJP: राजधानी जयपुर में भारतीय जनता पार्टी की शहर इकाई में कार्यकारिणी सूची के लीक होने और उसमें सिफारिशों के आधार पर नियुक्तियों को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह मामला अब जयपुर से दिल्ली तक पहुंच गया है और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मुद्दे की गहन पड़ताल की और इसे पार्टी की छवि को धूमिल करने वाला माना है।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और उनके खिलाफ बड़ा एक्शन लिया जा सकता है।
सूची लीक और सिफारिशों का खुलासा
दरअसल, जयपुर शहर बीजेपी की कार्यकारिणी सूची को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने 34 सदस्यीय कार्यकारिणी की सूची सोशल मीडिया पर जारी की। इस सूची में उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री, कार्यालय मंत्री, प्रवक्ता, आईटी संयोजक, सह-संयोजक, सोशल मीडिया संयोजक, प्रकोष्ठ संयोजक और मीडिया सह-संयोजक जैसे पदों पर नियुक्तियां की गई थीं।
लेकिन हैरानी की बात यह थी कि सूची में 34 में से 22 पदाधिकारियों के नामों के साथ उन नेताओं के नाम भी शामिल थे, जिन्होंने उनकी सिफारिश की थी। इस खुलासे ने पार्टी के भीतर भूचाल ला दिया।
CM और डिप्टी CM की भी सिफारिशें
सूची में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की सिफारिशों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई थी। मुख्यमंत्री की सिफारिश पर तीन नेताओं को और उनके कार्यालय की सिफारिश पर एक नेता को कार्यकारिणी में जगह मिली। वहीं, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की सिफारिश पर चार नेताओं को शामिल किया गया।
इसके अलावा, कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और विधायक बालमुकुंदाचार्य की सिफारिश पर दो-दो नेताओं को स्थान मिला। उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, सांसद मंजू शर्मा, विधायक गोपाल शर्मा, विधायक कैलाश वर्मा, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), पूर्व प्रत्याशी चंद्र मोहन बटवाड़ा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सिफारिश पर एक-एक नेता को कार्यकारिणी में शामिल किया गया।
पार्टी के भीतर असंतोष और नाराजगी
सूची के वायरल होने के बाद बीजेपी के भीतर असंतोष भड़क उठा। सूत्रों के मुताबिक कई वरिष्ठ नेताओं ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया। खासकर, जयपुर जिला महिला मोर्चा की अध्यक्ष अनुराधा माहेश्वरी ने अपनी अनुपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने न केवल सोशल मीडिया पर अपनी आपत्ति दर्ज की, बल्कि अपने समर्थकों के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष तक लिखित शिकायत लेकर पहुंचीं।
इसके अलावा, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और अरुण चतुर्वेदी ने भी अपने समर्थकों को सूची में जगह न मिलने पर नाराजगी जाहिर की। सूची में सिफारिशों का खुलासा होने से यह विवाद और गहरा गया। कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इसे पार्टी की पारदर्शिता और अनुशासन के खिलाफ माना। सूत्रों के अनुसार, इस मामले ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है और इसे घोर अनुशासनहीनता माना जा रहा है।
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नाराजगी के बाद दिल्ली तक पहुंचा मामला
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने सोमवार देर शाम जयपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की और इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की। राठौड़ ने पूरे मामले की गहन पड़ताल की और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की गलती पहले कभी नहीं हुई और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं, पार्टी आलाकमान ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई है और इसे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला माना है। मदन राठौड़ ने इस मामले को अनुशासनहीनता का एक गंभीर उदाहरण माना और कहा कि इसकी समीक्षा की जाएगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में शहर अध्यक्ष के पद पर एक्शन हो सकता है।
अमित गोयल की पोस्ट हुई थी डिलीट
बताते चलें कि विवाद बढ़ने के बाद जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने दबाव में आकर सफाई दी थी। उन्होंने एक नई सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटर ने गलती से प्रस्तावित कार्यकारिणी की सूची सोशल मीडिया पर डाल दी थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जयपुर शहर बीजेपी की कार्यकारिणी को जल्द ही विधिवत रूप से घोषित किया जाएगा। दबाव बढ़ने पर गोयल ने विवादित सूची वाली पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा लिया, लेकिन तब तक यह मामला पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा का विषय बन चुका था।
सूची में क्या थी खामियां?
गौरतलब है कि सूची में कई खामियां भी सामने आईं। कुछ नेताओं का मानना है कि सिफारिशों के आधार पर नियुक्तियां करना पार्टी की परंपराओं के खिलाफ है। इसके अलावा कई वरिष्ठ और सक्रिय कार्यकर्ताओं को सूची में जगह नहीं मिली, जिससे असंतोष और बढ़ गया। सूची में शामिल कुछ नामों पर भी सवाल उठे, क्योंकि उनकी सिफारिश करने वाले नेताओं के नाम सार्वजनिक होने से यह धारणा बनी कि कार्यकारिणी का गठन योग्यता के बजाय सिफारिशों पर आधारित था।
इस पूरे प्रकरण ने बीजेपी की जयपुर शहर इकाई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वहीं, जब राजस्थान पत्रिका ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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