scriptJaipur: जयपुर में बारिश से छलनी सड़कों पर पैचवर्क नहीं…मिट्टी की मरहम पट्टी, जिम्मेदार टेंडर में उलझे | Jaipur: There is no patchwork on broken roads in Jaipur… healing is being done with mud, the responsible are entangled in tender | Patrika News
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Jaipur: जयपुर में बारिश से छलनी सड़कों पर पैचवर्क नहीं…मिट्टी की मरहम पट्टी, जिम्मेदार टेंडर में उलझे

जयपुर शहर की सड़कों पर करोड़ों रुपए लागत का पैचवर्क नहीं, जैसे हर साल ‘मिट्टी पूजन’ का बजट जारी होता है। शहर में बारिश होती है, सड़कें टूटती हैं, गड्ढे बनते हैं और फिर शुरू होता है मिट्टी और मलबे से उन्हें भरने का खेल। कागज़ों में करोड़ों रुपए ठंडी डामर, कंक्रीट मिक्स और डब्ल्यूएमएम […]

जयपुरAug 07, 2025 / 10:28 am

anand yadav

जयपुर शहर की सड़कों पर करोड़ों रुपए लागत का पैचवर्क नहीं, जैसे हर साल ‘मिट्टी पूजन’ का बजट जारी होता है। शहर में बारिश होती है, सड़कें टूटती हैं, गड्ढे बनते हैं और फिर शुरू होता है मिट्टी और मलबे से उन्हें भरने का खेल। कागज़ों में करोड़ों रुपए ठंडी डामर, कंक्रीट मिक्स और डब्ल्यूएमएम (वाटर मिक्स मैकाडम) पर खर्च होते हैं, लेकिन जमीन पर उतरते-उतरते यह बजट केवल मिट्टी के कट्टों और ढकोसले में तब्दील हो जाता है।

पैचवर्क के नाम पर टेंडर पास

जिम्मेदार एजेंसियां हर साल ‘पैचवर्क’ के नाम पर योजना बनाती हैं, टेंडर पास होते हैं, फाइलें घूमती है लेकिन नतीजा वही पुराना… गड्ढों से छलनी सड़कें और उनमें फंसे आम लोग। शहर की सड़कें मानो एक स्थायी प्रयोगशाला बन गई हैं, जहां जनता को सड़क नहीं, सिर्फ सब्र का इम्तिहान मिलता है।
जयपुर में बारिश से छलनी सड़कें,पत्रिका फोटो

हर वक्त हादसे का डर

मिट्टी और मलबे से भरे गड्ढों के चलते वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं, जिससे प्रमुख मार्गों पर जाम लगना आम बात हो गई है। खासतौर पर बारिश के दौरान इन गड्ढों में मिट्टी और कट्टों के चलते फिसलन और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

भरने के नाम पर बहाए जा रहे करोड़ों

जेडीए, हैरिटेज नगर निगम और ग्रेटर नगर निगम ने पैचवर्क के लिए करोड़ों रुपए के टेंडर किए हैं। विशेषज्ञों की राय है कि ऐसे गड्ढों को केवल ठंडी डामर या डब्ल्यूएमएम से ही भरा जाना चाहिए।
जयपुर में टूटी सड़कों पर मिट्टी का मरहम,पत्रिका फोटो

यहां बदतर हालात

जेडीए से महज डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जवाहर नगर बायपास पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। हाल यह है कि तीन किलोमीटर की दूरी तय करने में वाहन चालकों को आधा घंटा लग रहा है। गड्ढों को मिट्टी के कट्टों और मलबे से भरा जा रहा है, जिससे सड़क बार-बार खराब हो रही है। यही स्थिति शहर की अन्य बाहरी कॉलोनियों में भी है।
 टूटी सड़कों पर सफर हो रहा मुश्किल,पत्रिका फोटो

एक्सपर्ट ये बोले

बारिश के दौरान बने गड्ढों को ठंडी डामर से तैयार कांडल मिक्स से भरना चाहिए। जहां पूरी सड़क उखड़ गई हो, वहां डब्ल्यूएमएम से अस्थायी भराव किया जाना चाहिए। मिट्टी के कट्टे केवल कटाव रोकने या अत्यंत गहरे गड्ढों के लिए उपयोग में लिए जाते हैं, न कि सड़क सुधार के लिए। ऐसे कार्यों में रोड एम्बुलेंस को भी उपयोग में लिया जा सकता है। -एन.सी. माथुर, पूर्व निदेशक, अभियांत्रिकी, जेडीए

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