नेहरू बाजार की पार्किंग समस्या ने छीनी रौनक, व्यापारी कारोबार घटने से चिंतित, ग्राहक अब आउटर मार्केट की ओर जा रहे, गिरी दुकानों की कीमत
Nehru Bazar: नेहरू बाजार कभी शहर का सबसे व्यस्ततम और लोकप्रिय बाजार माना जाता था। पुराने शहर में बसे इस बाजार में कपड़े, जूते-चप्पल और अन्य सामानों की बड़ी दुकानें हैं। लेकिन समय के साथ यहां की सबसे बड़ी समस्या पार्किंग बन गई है, जिसने यहां के व्यापार को गहरा झटका दिया है।
जयपुर। नेहरू बाजार कभी शहर का सबसे व्यस्ततम और लोकप्रिय बाजार माना जाता था। पुराने शहर में बसे इस बाजार में कपड़े, जूते-चप्पल और अन्य सामानों की बड़ी दुकानें हैं। लेकिन समय के साथ यहां की सबसे बड़ी समस्या पार्किंग बन गई है, जिसने यहां के व्यापार को गहरा झटका दिया है। दुकानदारों का कहना है कि पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बाहर से आने वाले ग्राहकों की संख्या लगातार घटती जा रही है। पहले दूर-दराज के इलाके जैसे सांगानेर, मानसरोवर, झोटवाड़ा और मालवीय नगर व अन्य जगहों से लोग कपड़े, फुटवियर और अन्य जरूरत का सामान खरीदने यहां पहुंचते थे। लेकिन अब हालत यह हो गई है कि लोग आउटर के नए मार्केट में ही खरीदारी कर लेना बेहतर समझ रहे हैं।
स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि नेहरू बाजार में आए ग्राहकों को सबसे पहले गाड़ी खड़ी करने की समस्या झेलनी पड़ती है। पार्किंग की जगह बहुत सीमित है और सड़क पर भी लोडिंग-अनलोडिंग के वाहन पूरे दिन खड़े रहते हैं। खासकर पास की फिल्म कॉलोनी में जो मेडिकल मार्केट है, वहां के दुकानदारों के भारी वाहन नेहरू बाजार में ही पार्क रहते हैं। इससे बाजार के मुख्य मार्गों पर जाम लगना आम बात हो गई है। ग्राहकों को अपनी गाड़ी दूर कहीं खड़ी करनी पड़ती है, जिससे उनका आना-जाना बेहद असुविधाजनक हो गया है। गलती से कोई ग्राहक अगर बाजार में गाड़ी पार्किंग कर देता है तो उसका चालान हो जाता है।
व्यापारियों का कहना है कि पहले यहां की दुकानों की कीमतें आसमान छूती थीं। एक दुकानदार ने बताया कि पहले जिस दुकान की कीमत पांच करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी, अब उसकी वैल्यू गिरकर मुश्किल से तीन करोड़ रह गई है। उनका कहना है कि पार्किंग की समस्या के साथ-साथ अतिक्रमण, ठेले और शराब ठेका भी इस बाजार की बदहाली के मुख्य कारण हैं। ठेले और छोटी दुकानों ने सड़कों की चौड़ाई खत्म कर दी है।
नेहरू बाजार के वरिष्ठ दुकानदारों ने बताया कि यह बाजार साल 1963 में बना था। उस वक्त यहां व्यापार को बढ़ावा देने के लिए पक्की दुकानों की योजना बनाई गई थी। लंबे समय तक यह जयपुर का सबसे बड़ा कपड़ा और जूते का हब रहा। यहां की दुकानों पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ राजस्थान के अन्य जिलों से भी लोग खरीदारी करने आते थे। त्योहारों के समय यहां पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती थी। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। नई पीढ़ी के व्यापारी अब अपने कारोबार को आउटर के नए मार्केट में शिफ्ट करने लगे हैं। इसके चलते पुराने बाजार की पहचान और व्यापार दोनों को भारी नुकसान हो रहा है।
नेहरू बाजार व्यापार मंडल के कार्यकारिणी सदस्य मनोज आहूजा ने बताया कि पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। ग्राहक आना ही कम हो रहे है अब धीरे धीरे इस कारण। हालात यह हो गए है कि मेरी दुकान की कीमत पहले चार करोड़ थी और अब ढ़ाई करोड़ रुपए रह गई है। मैं खुद भी दुकान बेचकर मानसरोवर में नई दुकान शिफ्ट करने की कोशिश कर रहा हूं। जबकि 1963 में मेरे पिताजी ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर नेहरू बाजार में दुकान खोली थी। हालांकि वह दुकान दूसरी थी। लेकिन अब हालात बदल गए है।
व्यापारी दिनेश चंदानी ने कहा कि पार्किंग नहीं होने के कारण कारोबार प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा ठेले लगने से यातायात जाम रहता है। मेडिकल मार्केट की गाड़ियां सड़क पर खड़ी रहती है। जिसके कारण नेहरू बाजार के हालात बिगड़ गए है।
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