बरसात के पानी को निकालने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने वाली फर्म ने चार रास्ते सुझाए थे। हालांकि, इनमें से किसी रास्ते पर अतिक्रमण था तो किसी पर पानी छोड़ने वाली जगह ही उपयुक्त नहीं थी। इनके बीच जेडीए ने 30 अप्रेल को फर्म से डीपीआर बनाने का काम वापस ले लिया।
जेडीए अधिकारियों की मानें तो कार्य की प्रकृति बदलने के कारण यह फैसला लिया गया है। अब नए सिरे से जेडीए प्रक्रिया करेगा। इस पूरे प्रकरण में जेडीए के जिम्मेदार अधिकारी बात करने से बचते नजर आए।
ऐसे बढ़ता चला गया इलाका शुरुआत में जेडीए ने पृथ्वीराज नगर की करीब 1500 हेक्टेयर में ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने का कार्यादेश याशी कंसल्टिंग सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को दिया। जब सर्वे शुरू हुआ तो 4200 हेक्टेयर का प्लान बना।
दरअसल, बिना 2800 हेक्टेयर में ड्रेनेज सिस्टम विकसित किए पीआरएन-उत्तर से बरसात का पानी निकाल पाना संभव नहीं था। ऐसे हुई प्लानिंग, सब हो गई फेल -सिरसी रोड होते हुए पानी को मुंडियारामसर की तलाई में ले जाया जाए। जहां पानी ले जाना है, वहां जमीन संस्थानिक, आवासीय से लेकर चारागाह भूमि है।
-एचटी लाइन के नीचे ड्रेनेज लाइन विकसित की जाए। हाईटेंशन लाइन नीची होने से काम संभव नहीं हो पाया। -कुछ सेक्टर रोड से पानी को हीरापुरा पावर स्टेशन तक ले जाने का प्लान बनाया गया। लेकिन जिस सड़क से ड्रेनेज लाइन अजमेर रोड पर ले जानी थी, वहां जलदाय विभाग की बड़ी लाइन है।
-भांकरोटा से सिरसी रोड को जोड़ने वाली 200 फीट की सेक्टर रोड पर ड्रेनेज लाइन डालने का प्लान बनाया, लेकिन इस पर भी कुछेक जगह अतिक्रमण और खातेदारों का विवाद है।