तकनीक से सुरक्षा की तैयारी में एमपी पुलिस
बदमाश अपराध, खासकर धोखाधड़ी करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे देखते हुए पुलिस भी तकनीक के जरिए मैदान पकड़ने की तैयारी में है। पुलिस टेलीकॉम हैडक्वार्टर ने इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (इओआइ) के लिए एजेंसियों को आमंत्रित किया है। सीनियर पुलिस अधीक्षक ने टेंडर जारी किया है। 6 जून को भोपाल में एजेंसी को प्रेजेंटेशन देना होगा। सेफ गार्ड एमपी के नाम से यह काम हो रहा है, जिसमें एआइ का इस्तेमाल कर मुय शहरों को सुरक्षित बनाने और बदमाशों की पहचान करने के लिए सिस्टम पर बात होगी। इनफोर्समेंट व डिटेक्शन के लिए यह सिस्टम होगा। कैमरे के साथ अन्य आधुनिक उपकरण इसमें शामिल रहेंगे। विदेशी लोगों से लगातार संपर्क में रहने वाले, सोशल मीडिया पर एक ही सिस्टम से लोगों को झांसा देने वाले आदि को घेरने का यह प्रयास है।
120 स्थानों पर लगेंगे विशेष कैमरे
इंदौर पुलिस ने शहर में 120 स्थानों पर वीडियो एनालिटिक व फेस डिटेक्शन कैमरे लगाने के लिए मुख्यालय से 5 करोड़ का बजट मांगा है। कॉल डिटेक्शन, विस्फोटक डिटेक्शन जैसे अन्य उपकरण से लैस होंगे। पुलिस कमिश्नर संतोषकुमार सिंह के मुताबिक, मैदानी नाकेबंदी के साथ ही ई-नाकाबंदी की योजना के तहत काम हो रहा हैै। कैमरे लगाने का स्थान अफसरों की कमेटी तय करेगी। नगर निगम व प्रशासन के सहयोग से पूरे शहर में कैमरों का जाल बिछाया जाना है। हालांकि आइटीएमएस के साथ ही अन्य कैमरों में ऐसी तकनीक के दावे किए गए, जो सिर्फ दिखावा साबित हुए।
इस तरह के फायदे
ट्रैफिक : ई-नाकेबंदी यातायात प्रवाह को प्रबंधित करने, भीड़भाड़ को कम करने और दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है। बेहतर सुरक्षा: यह प्रणाली अपराधों का पता लगाने और उन्हें रोकने में मदद कर सकती है, जैसे कि वाहन चोरी, डकैती और आतंकवाद। बढ़ी हुई दक्षता: ई-नाकेबंदी कई कार्यों को स्वचालित कर सकती है, जिससे अधिक महत्वपूर्ण कार्यों पर दक्षता के साथ काम करने का अवसर मिलता है। डेटा-संचालित निर्णय लेना : यह प्रणाली मूल्यवान डेटा प्रदान कर सकती है जो नीति निर्णयों को सूचित कर सकती है और शहर के संचालन को अनुकूलित कर सकती है।
फेशियल रिकग्निशन : एआइ आधारित फेशियल रिकग्निशन तकनीक का उपयोग करके अपराधियों की पहचान व गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकता है। डेटा एनालिटिक्स : एआइ आधारित डेटा एनालिटिक्स टूल्स का उपयोग करके अपराधियों के पैटर्न और गतिविधियों का विश्लेषण किया जा सकता है और उनकी पहचान की जा सकती है।