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हुबली

केवल किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं, स्कूली शिक्षा में शामिल हो कौशल विकास पाठ्यक्रम

मुनि नवीन प्रज्ञ का मानना है कि स्कूलों में कौशल विकास के पाठ्यक्रम शामिल किए जाने चाहिए। अन्यथा केवल किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होगा। कौशल विकास से ही बेरोजगारी दूर होगी। यहां हुब्बल्ली में चातुमासार्थ विराजित मुनि नवीन प्रज्ञ ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में धर्म-ध्यान के साथ ही संस्कृति एवं संस्कारों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीJul 02, 2025 / 06:29 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

मुनि नवीन प्रज्ञ की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत

मुनि नवीन प्रज्ञ की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत

सवाल: इस बार चातुर्मास में किन विषयों पर अधिक ध्यान रहेगा?
मुनि:
इस बार चातुर्मास में संस्कारों के साथ ही व्यसन मुक्ति, शाकाहार, शांति, आध्यात्म, जाप एवं तप पर अधिक ध्यान रहेगा। चातुर्मास में दौरान बच्चों, बड़ों व महिलाओं के लिए शिविर लगाए जाएंगे। विभिन्न प्रतियोगिताएं होंगी। ऐसा प्रयास रहेगा कि हर उम्र के व्यक्ति को इस चातुर्मास में लाभ मिले।
सवाल: युवा पीढ़ी को धर्म-ध्यान से कैसे जोड़ा जा सकता है?
मुनि:
युवा पीढ़ी बिजनेस में अधिक व्यस्त होने के चलते धर्म-आध्यात्म पर कम ध्यान दे पाती है। उन्हें रविवार एवं अन्य दिनों में शिविर एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से धार्मिक कार्यों से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। आज के युवाओं को तर्कसंगत समझाना पड़ता है। इससे वे धर्म-आध्यात्म की तरफ प्रवृत्त भी होने लगे हैं। यदि तर्कपूर्ण ढंग से बताया जाएं तो युवाओं का जुड़ाव निसंदेह अधिक होता है।
सवाल: प्रवचनों से जीवन में कितना बदलाव आता हैं?
मुनि:
समाज में संस्कार बढ़े हैं। संस्कारों को लेकर जागरुकता आई है। नई पीढ़ी का धर्म-ध्यान के प्रति झुकाव लगातार बढ़ रहा हैं। जो प्रवचन सुनने के लिए आते हैं, उनका असर जरूर होता है और कुछ श्रावक-श्राविकाएं अपने जीवन में बदलाव भी जरूर लाते हैं।
सवाल: क्या सहनशीलता कम हो रही है? जीवन में अशांति बढ़ रही है। इसके क्या कारण है?
मुनि:
सहशीलता का गुण बचपन से ही आने लगता है। पांच वर्ष तक के बच्चे का लालन-पालन किया जाता है। जब बच्चा छह वर्ष से ऊपर का हो जाएं तब डांट-डपट सकते हैं। किशोरवय में मित्रवत व्यवहार किया जाना चाहिए। समझ की कमी के कारण अशांति आती है। शांति के लिए धर्म-आराधना करते हैं। पाप से जीवन में कष्ट आता है। पुण्य से भौतिक सुख मिलता है। धर्म से शांति मिलती है।
सवाल: रात्रि भोजन पर आपकी क्या राय है?
मुनि:
जो सूर्य की रोशनी में भोजन किया जाता है, उसका पाचन आसान रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। रात्रि भोजन निषेध हो।

सवाल: मोबाइल हमारे लिए कितना फायदेमन्द या नुकसानदेय साबित हो रहा है?
मुनि:
यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम मोबाइल का उपयोग कैसे करते हैं। इसका सदुपयोग भी है तो दुरुपयोग भी। बच्चे के परिपक्व हो जाने के बाद ही मोबाइल हाथ में दिया जाता है तो बेहतर रहता है। नासमझ हाथ में मोबाइल नहीं हो।
सवाल: मौजूदा दौर में व्यक्ति कम उम्र में ही अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है, इसका क्या कारण हैं?
मुनि:
हमारी जीवन शैली एवं खान-पान बदल रहा है। आजकल फास्टफूड का चलन बढऩे लगा है। सात्विक भोजन हो।
सवाल: संयुक्त परिवार व एकल परिवार में से कौनसा अधिक अच्छा है?
मुनि:
संयुक्त परिवार की व्यवस्था अच्छी हैं। इसमें समर्पण का भाव अधिक देखने को मिलता है। एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना अधिक रहती है। सहनशीलता का गुण अधिक मिलता है। सामंजस्य बना रहता है। आजकल हर किसी को अधिक स्वतंत्रता चाहिए। इसी वजह से एकल परिवार भी अधिक हो गए हैं। एकल परिवार में शांति नहीं मिल सकती है।

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