दो आरोपी गिरफ्तार, तीन की तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी
इनके पास से कूटरचित तरीके से तैयार फिंगर प्रिंट क्लोन, मार्कशीट, आधार कार्ड और इस्तेमाल होने वाले उपकरण बरामद हुए हैं। गैंग के तीन अन्य साथियों की पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान महराजगंज जिले के निचलौल निवासी इमरान खान वर्तमान पता गोरखनाथ थानाक्षेत्र के हुमायूंपुर और शाहपुर थानाक्षेत्र के बिछिया के रहने वाले श्याम बिहारी गुप्ता के रूप में हुई है। इमरान वर्तमान में गोरखपुर के हुमायूंपुर में किराये के कमरे में रहता है।
आरोपियों ने कबूला फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाने की बात
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि श्याम बिहारी की शाही मार्केट में दुकान है। पुलिस को इनपुट मिला था कि फर्जी तरीके से फिंगर प्रिंट का क्लोन तैयार किया जा रहा है। पुलिस टीमें लगी थीं। मंगलवार को संदेह के आधार पर श्याम बिहारी और कंप्यूटर संचालक इमरान को पुलिस ने पकड़ लिया।हिरासत में लिए गए आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो पता चला कि आरोपित पंद्रह सौर रुपये तक में किसी का भी फिंगर प्रिंट का क्लोन तैयार कर देते थे। साथ ही फर्जी डिग्री और आधार कार्ड भी बनाते हैं।
पैरामेडिकल कालेज और यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री भी करते थे तैयार
आरोपितों के हवाले से उन्होंने बताया कि जेपीएस पैरामेडिकल कॉलेज से जुड़े एक शख्स ने इन लोगों को डिग्री तैयार करने का ठेका दिया था। बीफार्मा के अलावा मेघालय यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री भी ये लोग तैयार करते थे। पूछताछ में आरोपियों ने अपने तीन अन्य साथियों के नाम भी बताए, जिसकी मदद से अवैध धंधा चलाया जा रहा था। पुलिस उनकी तलाश में लगी है। पुलिस की जांच के घेरे में जेपीएस पैरामेडिकल कॉलेज भी आ गया है।
जानिए कैसे बनाते थे क्लोन
हिरासत में लिए गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि क्लोन के लिए आने वाले शख्स का कागज पर अंगूठे का निशान लेते थे। फिर कंप्यूटर एक्सपर्ट साथी उसे स्कैन करके पेनड्राइव में ले लेता था। फिर इमरान उसकी थ्रीडी इमेज बनाकर ट्रेसिंग पेपर पर प्रिंट निकालता था। इसके बाद पालिमर केमिकल का इस्तेमाल कर इसे तैयार किया जाता था। केमिकल न होने की दशा में फ्लैक्स बनाने वाली मशीन की मदद से क्लोन बना लिया जाता था। इसी तरह जाति, आय प्रमाण पत्र भी फर्जी तैयार किया जाता था। इसके लिए इसके लिए ये असली प्रमाण पत्र के नंबर का इस्तेमाल करते थे। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद फोटोशॉप की मदद से उसपर मनचाही आय या जाति भर देते थे। फर्जीवाड़े के गैंग के पर्दाफाश से कई शिक्षा संस्थान की डिग्रियां जांच के घेरे में आ गई हैं।