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छिंदवाड़ा

उच्च शिक्षा में नहीं दिखा रहे विद्यार्थी रुचि, 14 पाठ्यक्रमों में 70 प्रतिशत सीटें खाली

राजमाता सिंधिया शासकीय पीजी गल्र्स कॉलेज छिंदवाड़ा में 5560 सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया जारी

छिंदवाड़ाJul 03, 2025 / 08:04 pm

mantosh singh

जिले की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था राजमाता सिंधिया शासकीय पीजी गल्र्स कॉलेज में इस वर्ष प्रवेश को लेकर छात्राओं की उदासीनता सामने आई है। कॉलेज में संचालित 14 प्रमुख पाठ्यक्रमों में इस बार अब तक केवल 30.38 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हुआ है, जबकि 5560 में से 3871 सीटें अब भी खाली हैं, जो कि कुल सीटों का लगभग 70 प्रतिशत है। यह स्थिति न केवल कॉलेज प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि उच्च शिक्षा में छात्राओं की घटती रुचि को भी उजागर करती है।

दो चरणों के बाद भी खाली पड़ी हैं हजारों सीटें

कॉलेज की ऑनलाइन प्रवेश प्रभारी डॉ. महिम चतुर्वेदी ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए प्रवेश प्रक्रिया दो चरणों में आयोजित की गई है। पहले चरण में 1218 और दूसरे चरण में 471 छात्राओं ने ही प्रवेश लिया है। इसके बावजूद कॉलेज की अधिकांश सीटें अब तक रिक्त पड़ी हैं। कुल मिलाकर केवल 1689 छात्राओं ने ही अब तक प्रवेश लिया है, जबकि प्रवेश योग्य सीटों की संख्या 5560 है। कॉलेज प्रबंधन अब तीसरे चरण के प्रवेश की तैयारी में है, ताकि अधिक से अधिक छात्राएं प्रवेश ले सकें।

बीए से लेकर एमएससी तक, सभी कोर्सों में कम रूझान

राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज में बीए, बीकॉम, बीएससी, बीएचएचएससी, एमए, एमएससी, एमकॉम, एमएचएससी, पीजीडीसीए, पीजीडीवायई जैसे प्रमुख कोर्स संचालित होते हैं। इन सभी कोर्सों के लिए सीटें उपलब्ध हैं, लेकिन छात्राओं का रुझान अपेक्षित नहीं दिख रहा है। कॉलेज प्रशासन मान रहा है कि जानकारी के अभाव, प्रतिस्पर्धा, निजी संस्थानों की ओर झुकाव और ग्रामीण छात्राओं की आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियां इसका प्रमुख कारण हो सकती हैं।

करियर बनाने के लिए अब भी खुले हैं कई विकल्प

डॉ. महिम ने जानकारी दी कि छात्राओं के लिए अभी भी अर्थशास्त्र, अंग्रेज़ी, हिंदी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, संगीत, संस्कृत, समाजशास्त्र, कंप्यूटर एप्लीकेशन, होम साइंस, कॉमर्स विथ कंप्यूटर, बॉटनी, जूलॉजी, केमेस्ट्री, फिजिक्स, गणित, हेल्थकेयर मैनेजमेंट, ह्यूमन डेवलपमेंट, फूड एंड न्यूट्रिशन और योगा एजुकेशन जैसे विषयों में प्रवेश की भरपूर संभावनाएं हैं। इन विषयों में भविष्य के लिए मजबूत करियर विकल्प मौजूद हैं, लेकिन जागरूकता की कमी छात्रों को पीछे रख रही है।

शिक्षा विभाग की रणनीतियों पर भी उठे सवाल

कॉलेज में सीटें भरने की चुनौती सिर्फ कॉलेज प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग के लिए भी चेतावनी है। एक ओर जहां सरकार बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसे अभियानों पर ज़ोर देती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी कॉलेजों में बेटियों की रुचि घटती जा रही है। यह स्थिति आने वाले समय में उच्च शिक्षा में महिला भागीदारी पर भी असर डाल सकती है।

समाधान के लिए चाहिए ठोस पहल

विशेषज्ञों का मानना है कि कॉलेज स्तर पर छात्राओं के लिए करियर काउंसलिंग, छात्रवृत्ति योजनाओं की जानकारी, परिवहन सुविधा और रोजगार आधारित शिक्षा मॉडल पर काम किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हों। साथ ही कॉलेज को अपने कोर्सों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर भी जोर देना चाहिए।

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