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छिंदवाड़ा

पातालकोट छह मिलियन वर्ष पुरानी घाटी, नहीं खुला जड़ी-बूटियों का अध्ययन केन्द्र

जिला मुख्यालय से ७५ किमी दूर पातालकोट में १२ गांव है,जहां के मूल भारिया आदिवासी स्थानीय जड़ी बूटियों पर आधारित आजीविका पर निर्भर है।

छिंदवाड़ाJul 24, 2025 / 11:50 am

manohar soni

पातालकोट में मिले हजारों साल पुराने पत्थरों और लकडिय़ों से घाटी के छह मिलियन वर्ष पुरानी घाटी होने की पुष्टि हुई है। इसे देखते हुए वर्ष 2019 में इसे राज्य शासन ने जैव विविधता स्थल घोषित किया है। यहां जड़ी-बूटियों का भंडार है। इसे देखते हुए जड़ी-बूटियों के अध्ययन केन्द्र की जरूरत है। यहां प्रशासनिक दृृष्टि से आयुर्वेद कॉलेज की मांग उठ रही है।

जिला मुख्यालय से ७५ किमी दूर पातालकोट में १२ गांव है,जहां के मूल भारिया आदिवासी स्थानीय जड़ी बूटियों पर आधारित आजीविका पर निर्भर है। स्थानीय भारिया आदिवासी चाहते है कि स्थानीय स्तर पर जड़ी बूटियों का अध्ययन केन्द्र बने। जिससे उनकी जड़ी बूटियों की पहचान मिल सकें। अभी पातालकोट आनेवाले पर्यटक इन जड़ी बूूटियों से परिचित है। शासकीय जड़ी बूटियों का अध्ययन केन्द्र खुल जाने से उन्हें मान्यता मिल सकेगी।

छह मिलियन वर्ष पुरानी घाटी

छह साल पहले २०१९ को कोलाकाता के एक भू-वैज्ञानिक भूपेन्द्र सिंह पातालकोट में खनिज की खोज करने आए थे। जंगलों को देखते-देखते अचानक हर्राकछार के नजदीक उनकी नजर पत्थरों पर पड़ी। वे जब समीप गए तो उन्होंने पत्थर में तब्दील लकडिय़़ों के हजारों साल पुराने जीवाश्म से पर्दा उठा दिया। बाद में प्राकृतिक सौंदर्य के भरपूर जैवविविधता के रहस्य को समेटे इस घाटी की उम्र छह मिलियन वर्ष होने की वैज्ञानिक पुष्टि हुई। यह चिन्हित स्थल छिंदी मुख्यालय से 12 किमी दूर पातालकोट के अंदरुनी गांव हर्राकछार के पास है ।

शासन के राजपत्र में जैव विविधता विरासत स्थल


राज्य शासन के रिकार्ड बताते हंै कि 10 जनवरी २०१९ के राजपत्र में पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है । राजपत्र की अधिसूचना के मुताबिक पातालकोट पूर्व एवं पश्चिम वन मंडल के अधीन संरक्षित वन क्षेत्र 8367.49 हेक्टेयर में फैला हुआ है । यह स्थल 1700 फीट गहरी घाटी तथा 6 मिलियन वर्ष की अनुमानित आयु वाला पारिस्थितिकी एवं दुर्लभ वनस्पति तथा प्राणियों वाला क्षेत्र है । जिसमें ब्रायोफा इट्स एवं टेरिडोफ गइटस भी है ।


सांसद बंटी साहू ने संसद में उठाई थी मांग


सांसद बंटी साहू ने तामिया में आयुर्वेद कॉलेज की मांग लोकसभा में उठाया था। इस पर केन्द्रीय मंत्री का पत्र भी आया था। जिसमें लिखा था कि राज्य सरकार के माध्यम से प्रस्ताव दिया जाए तो इस पर कार्यवाही हो सकती है।
इसके बाद इस कार्यवाही के बारे में पता नहीं चल पाया है।


इनका कहना है…


पातालकोट में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का भंडार है। जिसकी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। यदि यहां तामिया में आयुर्वेद कॉलेज खुल जाए तो पातालकोट की औषधियों की मांग बढ़ जाएगी। स्थानीय स्तर पर भी भारियाओं को रोजगार सृजित होगा।
-रविन्द्र सिंह, वृक्षमित्र एवं जैव विविधता मित्र।

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हमने १२० देशों में पातालकोट की जड़ी बूटियों का ज्ञान को प्रसारित किया है। यदि पातालकोट-तामिया में आयुर्वेद कॉलेज बन जाए तो यहां जड़ी बूटियों पर रिसर्च होगी। पूरे देश के लोग अध्ययन करने तामिया आएंगे। इससे रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे।
डॉ.प्रकाश टाटा, प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक
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