परियोजना से संबंधित स्थिति स्पष्ट करते हुए जल संसाधन संभाग छिन्दवाड़ा की कार्यपालन यंत्री कुमकुम कौरव पटेल ने बताया कि वर्तमान में भू-अर्जन, वन प्रकरण एवं पर्यावरणीय स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। परियोजना के अंतर्गत डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामों की भूमि का अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनव्र्यवस्थापन अधिनियम 2013 के तहत किया जा रहा है।
प्रभावितों को प्रति हेक्टेयर कलेक्टर गाइडलाइन अथवा बाजार दर -जो भी अधिक हो-के आधार पर मुआवजा देय होगा। साथ ही, अधिग्रहीत भूमि पर सोलेशियम राशि का भी पृथक से भुगतान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त डूब क्षेत्र में स्थित मकान, दुकान, कुएं, पेड़, नलकूप आदि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन भू-अर्जन अधिकारी की ओर से गठित टीम कर अवार्ड पारित किया जाएगा। धार्मिक स्थल, स्कूल, आंगनवाड़ी, सामुदायिक भवन एवं अन्य सार्वजनिक संपत्तियों का पुनर्विस्थापन प्रस्तावित है।
प्रभावित परिवारों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए विभाग की ओर से विशेष पैकेज भी तैयार किया गया है, जिसकी स्वीकृति की प्रक्रिया शासन स्तर पर जारी है। यह पैकेज पुनर्वास एवं पुर्नविस्थापन अधिनियम 2013 की भावना अनुसार प्रभावित परिवारों की रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास तथा सामाजिक एवं धार्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
जल संसाधन विभाग यह स्पष्ट करता है कि परियोजना के क्रियान्वयन से पूर्व सभी प्रभावितों को अधिनियम अनुसार मुआवजा एवं अन्य लाभ पूर्ण पारदर्शिता से प्रदान किए जाएंगे और प्रभावितों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।
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