सीजन में सारी कवायदें हो जाती हैं फेल
ल गभग 50 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली कृषि उपज मंडी कुसमेली में किसानों के लिए शेड आरक्षण की सारी व्यवस्थाएं सीजन में फेल हो जाती हैं। इसका कारण शेड की कमी नहीं, वरन शेड से तौल के बाद कृषि उपज का समय पर उठाव नहीं हो पाना है। सीजन के अतिरिक्त अन्य दिनों में तो वर्तमान शेडों से ही किसानों का काम चल जाता है। सारी समस्या खरीफ के सीजन में मक्का एवं रबी के सीजन में गेहूं की आवक के दौरान होती है। उस समय किसानों की उपज खरीदने के बाद ज्यादातर व्यापारी अपनी उपज की बोरियां मंडी में ही छोड़ देते हैं और मंडी प्रबंधन सिर्फ कार्रवाई की घुडक़ी देते हुए स्थिति को और बदतर बना देता है। गेहूं के सीजन में एक व्यापारी ने तो एक शेड में हजारों खाली बोरियां एकत्र करके रखी हुई थीं। शेड क्रमांक एक एवं चार से तो कई माह तक उठाव नहीं होता है।
नवाचार असफल
कृषि उपज मंडी कुसमेली में छिंदवाड़ा अनाज व्यापारी संघ के सहयोग से मंडी प्रबंधन ने खुली ट्रॉली में उपज की नीलामी के नवाचार का प्रयास भी किया, लेकिन यहां किसानों से अधिक बिचौलिए किसान या छोटे व्यापारियों उपज लेकर पहुंचते हैं। वे अपने गांव में छोटे-छोटे किसानों से थोड़ा-थोड़ा माल खरीदकर उसे भरकर मंडी लाते हैं। उन्हें मंडी परिसर में लाकर पाला खंजर करते हैं, ताकि एक सा माल बनाया जा सके। इसके बाद ही इस उपज की नीलामी होती है।
इनका कहना है
कई बार खुली ट्रॉली से नीलामी का प्रयास करवाया, लेकिन छोटे कुचिया व्यापारी कई किसानों का माल मंडी के बाहर एक सा करने की जगह मंडी में ही करके बेचते हैं। -प्रतीक शुक्ला, अनाज व्यापारी संघ, अध्यक्ष