यह सिर्फ किताबों का बैंक नहीं, सपनों की शुरुआत है
शहर के कॉलेज छात्रों और समाजसेवियों की टीम ने 16 अप्रेल 2023 को गांधी बुक बैंक की शुरुआत की थी। सुबह 6 से 9 और शाम को 5 से 7 बजे तक खुलने वाला यह पुस्तकालय आज तक दो हजार छात्रों के लिए ज्ञान का मुफ्त स्रोत बन चुका है। यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों तक सभी के लिए किताबें नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
दूसरों के सहयोग से चलता है ये आंदोलन
गांधी बुक बैंक की खास बात यह है कि यह केवल देने वाला केंद्र नहीं है, बल्कि जोडऩे वाला भी है। शहर के वे लोग जिनके पास पुरानी या अतिरिक्त किताबें हैं, वे यहां दान कर सकते हैं। संचालन टीम का साफ कहना है हर किताब जिसे आप पढ़ चुके हैं, वह किसी और के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। किताबें लेने वालों का नाम बाकायदा रजिस्टर में दर्ज किया जाता है और उन्हें तय समय में किताबें वापस करनी होती हैं।
किताबों की कमी को बनाया ताकत का कारण
टीम के सदस्य सोयल गोस्वामी बताती हैं, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों में कई छात्र किताबों के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं। कई बार किताबें न होने से वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अधूरी छोड़ देते हैं। हमारा उद्देश्य है कि किताबों की यह कमी कभी किसी की राह में रुकावट न बने।
ज्ञान से भरी दीवारें और उम्मीद से भरी आंखें
बुक बैंक में हिंदी साहित्य, एमपी बोर्ड और सीबीएसई की किताबें, हाई स्कूल से लेकर हायर सेकेंडरी की सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे एमपीपीएससी, एसएससी, बैंक, रेलवे की गाइडबुक्स मौजूद हैं। हर दिन दर्जनों छात्र यहां आकर पढ़ते हैं या किताबें उधार लेते हैं।
जिनके हौसलों से चल रहा है यह काम
गांधी बुक बैंक की प्रेरणादायक सफलता के पीछे हैं शहर के युवाओं की एक समर्पित टीम, जिसमें कृष्णकांत मिश्रा गोलू, सोयल गोस्वामी, नीलेश तिवारी, नवदीप पाटकर, नितिन पटेरिया, रजत चतुर्वेदी, विकास मिश्रा, श्रीजा सिंह और अन्य सहयोगी। न कोई सरकारी अनुदान, न कोई फंडिंग सिर्फ इच्छाशक्ति और सेवा भाव से वे इस कार्य को चला रहे हैं। गांधी बुक बैंक छतरपुर शहर के लिए एक आदर्श उदाहरण बनता जा रहा है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि सोच बड़ी हो, तो बदलाव संभव है। यह न सिर्फ किताबों का आदान-प्रदान है, बल्कि सामाजिक चेतना और शिक्षा के प्रति जागरूकता का अभियान भी है।