धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
जटाशंकर धाम में स्थित भगवान शिव की प्राचीन गुफाएं, नैसर्गिक जलधाराओं और चारों ओर फैले जंगल पहले से ही लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। हर वर्ष लगभग 60 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन अब उन्हें आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक आनंद भी मिलेगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार जटाशंकर में इको हट, व्यू प्वॉइंट, सेल्फी पॉइंट, नेचर ट्रेल और डॉरमेट्री जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इससे पर्यटक यहां रुककर प्रकृति के बीच रह सकेंगे, ट्रेकिंग कर सकेंगे और वन्य जीवन का अनुभव ले सकेंगे।
पर्यावरण के अनुकूल विकास की योजना
वन विभाग ने इस परियोजना में पारंपरिक कांक्रीट निर्माण की जगह पूरी तरह इको फ्रेंडली निर्माण की रूपरेखा बनाई है। डीएफओ सर्वेश सोनवानी के अनुसार, सभी निर्माण कार्य बांस, बल्ली, लकड़ी व अन्य प्राकृतिक सामग्री से किए जाएंगे, ताकि प्राकृतिक स्वरूप अक्षुण्ण बना रहे। इसमें पगोडा शैली की झोपडयि़ां, रेस्टोरेंट, पार्किंग, डॉरमेट्री व रात्रि विश्राम की व्यवस्थाएं होंगी।
भीमकुंड और धुबेला को भी मिलेगा नया जीवन
धार्मिक रहस्य और नीले पानी के लिए प्रसिद्ध भीमकुंड और ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थल धुबेला भी इस योजना का हिस्सा हैं। धुबेला में वीकेंड कैंपिंग और एजुकेशनल टूरिज्म की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, जबकि भीमकुंड को पहले ही पर्यटन मंडल द्वारा 3 करोड़ रुपए की लागत से संवारा जा चुका है। अब इसे इको टूरिज्म मॉडल से जोड़ा जाएगा।
पर्यावरण, रोजगार और पर्यटन एक साथ
वन विभाग के डीएफओ ने बताया हमारा उद्देश्य केवल टूरिज्म बढ़ाना नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और युवाओं को जागरूक करने का है। यह परियोजना तीनों उद्देश्यों को साधने में सक्षम होगी। वन विभाग ने इस पूरे मॉडल को जनभागीदारी और स्थानीय संस्कृति से जोडऩे की योजना बनाई है ताकि इसका अधिकतम लाभ स्थानीय ग्रामीणों को मिल सके।
इको टूरिज्म बनेगा छतरपुर की पहचान
इको टूरिज्म एक समग्र दृष्टिकोण है जो पर्यावरण, संस्कृति और स्थानीय जीवन को जोड़ता है। यदि यह योजना अमल में आती है, तो जटाशंकर, भीमकुंड और धुबेला जैसे स्थल न सिर्फ धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि राष्ट्रीय स्तर के इको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में भी पहचाने जाएंगे।
इनका कहना है
हमारा लक्ष्य है कि जटाशंकर जैसे धार्मिक स्थल, और भीमकुंड-धुबेला जैसे ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक स्थल अब राष्ट्रीय स्तर पर इको फ्रेंडली पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित हों। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी गई है। सर्वेश सोनवानी, डीएफओ छतरपुर