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छतरपुर

सिंहपुर बांध से लगातार हो रहा रिसाव बना दो गांवों के लिए अभिशाप, छह वर्षों में न विस्थापन हुआ, न लीकेज की समस्या का स्थायी समाधान

बैराज से महज कुछ मीटर की दूरी पर बसे सिंहपुर और मुखर्रा गांव के 1122 परिवार पिछले छह वर्षों से रिसते पानी, सीलन, कीचड़ और लगातार गिरते मकानों की समस्या से जूझ रहे हैं।

छतरपुरJul 04, 2025 / 10:32 am

Dharmendra Singh

singhpur dam

बांध के किनारे बने घर

उर्मिल नदी पर 270 करोड़ की लागत से निर्मित सिंहपुर बैराज अब क्षेत्र के लिए सिंचाई परियोजना से अधिक एक स्थायी आपदा में बदलता जा रहा है। बैराज से महज कुछ मीटर की दूरी पर बसे सिंहपुर और मुखर्रा गांव के 1122 परिवार पिछले छह वर्षों से रिसते पानी, सीलन, कीचड़ और लगातार गिरते मकानों की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार हर वर्ष सर्वे और आश्वासन दिए जाते हैं लेकिन अब तक ना विस्थापन हुआ है, न ही रिसाव की मूल समस्या का कोई समाधान निकला है।

गांव के भीतर रिसाव की शक्ल में बह रहा है डैम का पानी

सिंहपुर गांव के ठीक पीछे स्थित कुशवाहा बस्ती और मुखर्रा के दलित मोहल्लों में डैम के रिसाव का पानी घरों में सीधा घुस रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि बांध बनने के बाद से ही पानी का रिसाव शुरू हो गया था, लेकिन पिछले 3-4 सालों में यह मात्रा इतनी बढ़ गई है कि कई जगह पानी नालियों की तरह बहता नजर आता है। गांव के लगभग हर घर की दीवारों में सीपेज, फफूंदी, दरारें और कमजोर नींव के संकेत दिखाई दे रहे हैं। श्रवण कुमार तिवारी, सुनील चौबे, अर्जुन कुशवाहा, काशी अहिरवार सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि अब तो बारिश में घर में रहना भी खतरे से खाली नहीं होता। मकान कभी भी गिर सकता है। कई लोगों को रात में पलायन करना पड़ता है।

विस्थापन के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई

2019 में राजस्व विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में सिंहपुर के 620 और मुखर्रा के 502 परिवारों को विस्थापन योग्य पाया गया था। ग्रामीणों ने कलक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत की, लेकिन केवल पत्राचार और निरीक्षण ही होते रहे। 2020 में तत्कालीन विधायक नीरज दीक्षित और कलेक्टर मोहित बुंदस ने खुद गांवों का निरीक्षण किया था और प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपए की सहायता देने वाला 52 करोड़ का पुनर्वास पैकेज तैयार किया गया था। जिला योजना समिति की बैठक में इसे अनुमोदन भी मिल चुका था, लेकिन राशि अब तक जारी नहीं हुई।

ग्रामीणों के सवाल कितने साल और इंतजार करें?

प्रभावित ग्रामीणों रामगोपाल, पर्वत, रतीराम, सुखलाल, राजा सिंह, प्रमोद, महेश और गया प्रसाद समेत दर्जनों लोगों का कहना है कि वे पिछले कई सालों से जलसंसाधन विभाग, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें हर बार केवल अभी देखेंगे और जांच करेंगे जैसे जवाब मिलते हैं। हमसे कहा गया कि आप लोगों को दूसरी जगह बसाया जाएगा, लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं लगी। अर्जुन कुशवाहा कहते हैं, डैम के किनारे रहने का मतलब है हर साल मौत के साए में जीना।

डैम निर्माण के 7 साल बाद भी नहीं हुआ स्थायी समाधान

सिंहपुर बैराज परियोजना के तहत लगभग 10000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था। डैम 2019 में पहली बार अपनी पूरी जल क्षमता से भरा गया और तभी से समस्या गंभीर हुई। डैम के दीवारों से रिसाव, मिट्टी का कटाव, और भराव क्षेत्र की सीमाएं पार कर रहा पानी लगातार दोनों गांवों की स्थिति को दयनीय बना रहा है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग की कार्यपालन अभियंता लता वर्मा से संपर्क किया गया, लेकिन उनका फोन अटेंड नहीं हुआ।

इनका कहना है

मुझे मामले की जानकारी नहीं है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता से अभी चर्चा करता हूं। समस्या का समाधान कराया जाएगा।

जीएस पटेल, एसडीएम नौगांव

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