नियम का खुलेआम उल्लंघन
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम और परिवहन नियमों में यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने को सख्ती से रोकने के प्रावधान हैं। लेकिन त्योहारों के दौरान इस नियम की खुलेआम उल्लंघन हो रही है। अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर वह ऐसी स्थिति में क्यों चुप हैं? इस संबंध में अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी मधु सिंह से पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया। लेकिन उनका फोन अटेंड नहीं हुआ।
परिवहन विभाग की चुप्पी पर सवाल
परिवहन विभाग से कई बार शिकायत करने के बाद भी अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। यात्रियों का आरोप है कि यह लापरवाही या फिर मिलीभगत की स्थिति है, जिससे बस ऑपरेटर मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
यात्री बोले- हम मजबूर हैं, कोई सुनवाई नहीं
मजदूर, छात्र और प्रवासी जो त्योहार के दौरान अपने घर लौट रहे हैं, उन्होंने अपनी व्यथा साझा की। एक प्रवासी मजदूर बृजेन्द्र अहिरवार ने कहा, हर साल यही होता है, त्योहार के नाम पर किराया दोगुना हो जाता है। हमारे पास विकल्प भी नहीं, मजबूरन इतना किराया चुकाना पड़ता है। दिल्ली के एक छात्र विकल्प मिश्रा ने बताया, ऑनलाइन टिकट के दाम देखकर हम दंग रह गए, किराया इतना बढ़ा हुआ था कि हम बस को छोड़कर दूसरे विकल्प ढूंढ़ने को मजबूर हो गए। मनमाने किराये की हकीकत
- भोपाल से छतरपुर: आमतौर पर 700-900 के बीच चलने वाली बसें इस बार 1500 से 1720 तक किराया ले रही हैं।
- दिल्ली से छतरपुर: 899 से लेकर 1599 तक का किराया वसूला जा रहा है, जो सामान्य किराये से लगभग दो गुना अधिक है।
- इंदौर से छतरपुर: सामान्य किराये 400-500 के मुकाबले 750 से 900 तक की राशि यात्रियों से ली जा रही है।
- विशेषकर वातानुकूलित (एसी) और स्लीपर श्रेणी की बसों में यह वृद्धि और भी अधिक है। यात्रियों ने बताया कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग के दौरान भी अधिक किराये की प्रवृत्ति स्पष्ट नजर आ रही है, जो इस मनमानी को और बढ़ावा देती है।