दो फेज में होना है निर्माण
फेज-3- साठिया घाटी से चौका गांव तक 55 किमी का निर्माण, लागत 717 करोड़, टेंडर वेल्जी रत्ना सोराठिया इंफ्रास्ट्रक्चर को। फेज-4- चौका गांव से कैमाहा बैरियर तक 43 किमी का निर्माण, लागत 688 करोड़, टेंडर एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर गुजरात को। दोनों फेज जनवरी 2023 में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा रखी गई आधारशिला का हिस्सा हैं और लक्ष्य 2026 तक पूरा होने का था। लेकिन मुआवजा वितरण की सुस्त रफ्तार के कारण समय सीमा अब संदिग्ध दिख रही है।
इसलिए अटका मुआवजा
छतरपुर, बिजावर और बड़ामलहरा तहसीलों के 56 गांवों की जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। कई किसानों के बैंक खाता विवरण उपलब्ध न होने से भुगतान अटक गया है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि सभी बचे किसानों के खाते जल्द से जल्द अपडेट कर राशि ट्रांसफर की जाए।2026 में निर्माण का था लक्ष्यफोरलेन निर्माण के लिए वर्ष 2026 की समय सीमा तय की गई थी, जिसमें पहले ही देरी हो गई है अब यदि मुआवजा वितरण में और देरी हुई, तो न सिर्फ हाईवे का निर्माण रुक जाएगा, बल्कि किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। यह प्रोजेक्ट छतरपुर जिले के यातायात नेटवर्क के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता था, लेकिन फिलहाल यह मुआवजा फाइलों के पन्नों में उलझा पड़ा है।
डीपीआर 2023 में हो गया था मंजूर
इस फोरलेन प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) अप्रेल 2023 में मंजूर की गई थी। डीपीआर की मंजूरी के बाद भूतल परिवहन विभाग ने इस फोरलेन के निर्माण को 2026 तक पूरा करने की टाइमलाइन तय की थी, लेकिन एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सकी। इसके चलते इस काम में एक साल की देरी हुई है। इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा हिस्सा एनएचएआई की छतरपुर इकाई के पास है।कबरई-सागर हाइवे के अंतर्गत छतरपुर जिले में फेज 3 व 4 के तहत काम होना है, इसके टेंडर हो चुके हैं, लेकिन मुआवजा प्रक्रिया के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।