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छतरपुर में विकास का ‘फुटपाथ सिंड्रोम’, पहले बनाओ, फिर तोड़ो, फिर दोबारा बनाओ

अमृत 2.0 योजना के तहत 252.83 करोड़ रुपए का सीवर प्रोजेक्ट छह माह में शुरू होने वाला है, लेकिन नगर पालिका अभी भी करोड़ों रुपए खर्च कर नई सीसी रोड और डामरीकरण करा रही है।

छतरपुरAug 13, 2025 / 10:42 am

Dharmendra Singh

muncipality

छतरपुर नगरपालिका

शहर विकास का फुटपाथ सिंड्रोम सामने आया है। पहले सडक़ बनाओ, फिर तोड़ो और फिर दोबारा बनाओ। अमृत 2.0 योजना के तहत 252.83 करोड़ रुपए का सीवर प्रोजेक्ट छह माह में शुरू होने वाला है, लेकिन नगर पालिका अभी भी करोड़ों रुपए खर्च कर नई सीसी रोड और डामरीकरण करा रही है। जिन सडक़ों पर ताजा डामर और सीमेंट बिछा है, वे कुछ ही महीनों में सीवर लाइन बिछाने के लिए खुदाई का शिकार होंगी। यह हाल शहर की विकास-योजना में दूरदर्शिता की कमी और विभागीय समन्वय की गंभीर खामियों को उजागर करता है।

189 किलोमीटर सडक़ की होगी खुदाई

प्रोजेक्ट के पहले चरण में 165 करोड़ रुपए की लागत से 189.6 किलोमीटर सडक़ की खुदाई की जाएगी। पुराने शहर, विश्वविद्यालय क्षेत्र और पन्ना नाका के हिस्सों में 130.90 किलोमीटर में 200 से 900 मिमी पाइप और 58.70 किलोमीटर में 200 से 60 मिमी पाइप बिछाए जाएंगे। दूसरे चरण में 130.90 किलोमीटर और खुदाई होगी, जिससे कुल 320.5 किलोमीटर सडक़ प्रभावित होगी। इस बीच, पन्ना नाका हाउसिंग बोर्ड से बुंदेला चौक तक बनी सीसी रोड पर हाल ही में डामरीकरण किया गया है। एलआईसी कार्यालय के सामने और पुराने शहर की कई गलियों में भी नई सीसी रोड बन चुकी हैं। यह सब जल्द खुदाई में टूटने को तैयार है, यानी करोड़ों का खर्च पानी में जाने वाला है।

तीन एसटीपी व तीन पंपिंग स्टेशन बनेंगे

योजना के तहत प्रताप सागर, ग्वाल मंगरा और संकट मोचन तालाब में तीन एसटीपी और तीन पंपिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। किशोर सागर, रानी तलैया, विंध्यवासिनी और सांतरी तालाब को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, ताकि घरेलू गंदा पानी तालाबों में न पहुंचे और उनका सौंदर्यीकरण हो सके।

जिम्मेदार कह रहे योजना के तहत कराएंगे मरम्मत

नगर पालिका के एई देवेंद्र धाकड़ का कहना है कि खुदाई के बाद सडक़ों की मरम्मत भी इसी योजना का हिस्सा है, लेकिन जनता सवाल उठा रही है कि क्या पहले से बनी सडक़ों को बचाने के लिए काम को चरणबद्ध नहीं किया जा सकता था। यह मामला सिर्फ सीवर बिछाने का नहीं, बल्कि शहर प्रबंधन की सोच का है। छतरपुर को विकास के नाम पर बनाओ,तोड़ो, फिर बनाओ के चक्र में फंसाना न सिर्फ जनता की असुविधा बढ़ाएगा, बल्कि करदाताओं के पैसों की भी भारी बर्बादी है।

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