केस-
आर्या सात साल की है। अपने काम के कारण उसे मोबाइल पकड़ा दिया। आर्या अब मोबाइल की लती हो गई है। किसी से बात नहीं करती और चिड़चिड़ापन, इंटरेक्शन की कमी हो गई और मां-पिता से भी बात नहीं करती। मनोवैज्ञानिकों का कहना है आर्या वर्चुअल ऑटिज्म की शिकार है।केस-
कबीर परिवर्तित नाम अभी 9 साल का है। मां-बाप ने 4 साल की उम्र में ही मोबाइल पकड़ा दिया। अब ठीक से बोल भी नहीं पाता। मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि कबीर वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित है। उसका इलाज चल रहा है।क्या है वर्चुअल ऑटिज्म
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार यह एक नया टर्म है। मोबाइल और तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में व्यवहारिक और मानसिक समस्या हो रही है। इसके लक्षण ऑटिज्म पीड़ितों की तरह हैं। बच्चे आई कांटेक्ट नहीं कर पाते, अपने में खोए रहते हैं। हाइपर एक्टिव होते हैं और स्पीच डिले होती है। साथ ही बच्चों में चिड़चिड़ापन आ जाता है।स्थिति गंभीर
यह केवल दो मामले नहीं हैं। शहर में हर रोज ऐसे मामले मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे हैं, जहां बच्चा स्क्रीन टाइम के कारण वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित है। यह स्थिति एक गंभीर खतरा बनती जा रही है।इन बातों का खास ख्याल रखें अभिभावक
2 साल तक के बच्चों का स्क्रीन टाइम जीरो रखें। 3 से 5 साल के बच्चों को जरूरी हो, तो एक घंटे स्क्रीन टाइम हो। बच्चों से संवाद करें, उनके साथ ज्यादा समय बिताएं।ये लक्षण दिखें तो तुरंत
-1- बच्चा दिनभर टीवी, मोबाइल देखता है और नहीं देखने पर चिड़चिड़ाता है।-2- किसी से बात करना पसंद नहीं करते
-3- तेज आवाज या लोगों के बीच जाने पर असहज महसूस करते हैं
-4- ठीक से बोल भी नहीं पाते हैं।
-5- अकेले रहना पसंद करते हैं।
-6- खेल-कूद बंद कर देते हैं।
-7- स्कूल जाना नहीं चाहते।