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छतरपुर

तालाब नहीं होगा प्रदूषित…दो साल से बंद जिला अस्पताल का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट होगा शुरू

लंबे समय से लापरवाही और रखरखाव की कमी के कारण बंद पड़ा यह प्लांट किशोर सागर तालाब के लिए खतरा बन गया था, क्योंकि अस्पताल से निकलने वाला गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे तालाब में पहुंच रहा था।

छतरपुरAug 12, 2025 / 10:21 am

Dharmendra Singh

water treatment plant

पुराने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की ये हो गई स्थिति

जिले के सबसे बड़े अस्पताल में करीब दो साल से बंद पड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की अब मरम्मत की जाएगी। साथ ही, अस्पताल परिसर में एक नए आधुनिक प्लांट के निर्माण का काम भी शुरू कर दिया गया है। लंबे समय से लापरवाही और रखरखाव की कमी के कारण बंद पड़ा यह प्लांट किशोर सागर तालाब के लिए खतरा बन गया था, क्योंकि अस्पताल से निकलने वाला गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे तालाब में पहुंच रहा था।

रोजाना निकल रहा 34 हजार लीटर गंदा पानी

अस्पताल में रोजाना 700 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं और उनके परिजनों, डॉक्टरों व स्टाफ को मिलाकर करीब 1300 लोग यहां मौजूद होते हैं। अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग 34 हजार लीटर गंदा पानी यहां से निकलता है, जो अब तक सीधे तालाब में जा रहा था। यह स्थिति तालाब के जल की गुणवत्ता और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर खतरा मानी जा रही है।

25 लाख की लागत से बना था प्लांट

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को पांच साल पहले 25 लाख रुपए की लागत से अस्पताल के नए भवन के साथ तैयार किया गया था। उद्देश्य था, वार्डों से निकलने वाले पानी को ट्रीटमेंट के बाद सुरक्षित रूप से तालाब तक पहुंचाना। लेकिन दो साल पहले यह पूरी तरह बंद हो गया। इस बीच, प्लांट तक पानी लाने और ले जाने के लिए बनी नाली भी क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे परिसर में दलदल, मच्छरों का प्रकोप और दुर्गंध जैसी समस्याएं बढ़ गईं।

मैटरनिटी विंग के पीछे बना रहे नया प्लांट

जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि प्लांट की मरम्मत के लिए शासन से राशि की स्वीकृति मांगी गई है और आवंटन मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा। वहीं, नए मैटरनिटी विंग के पीछे एक आधुनिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी जारी है, जिससे भविष्य में अस्पताल से निकलने वाले पानी को बेहतर तरीके से ट्रीट किया जा सकेगा।

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