चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुना और केस डायरी का अवलोकन किया । आवेदक के विरुद्ध लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं। केस डायरी के साथ संलग्न दस्तावेजों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता ने आवेदक के विरुद्ध कई शिकायतें की थीं।
विभाग की विशाखा समिति ने भी जांच के बाद रिपोर्ट दी है, जिसमें यद्यपि इस आशय का कोई प्रत्यक्ष निष्कर्ष नहीं है कि आवेदक अपने विरुद्ध लगाए गए आरोपों का दोषी है। लेकिन वॉट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट से ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक ने शिकायतकर्ता पर टिप्पणी करने का प्रयास किया है, जो एक चिकित्सक जैसे महान पेशे के लिए, और वह भी विभागाध्यक्ष होने के नाते, अनुचित था।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि आवेदक द्बारा गवाहों को प्रभावित करने, साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने या निष्पक्ष जांच में बाधा डालने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने केस डायरी में उपलब्ध सामग्री के आधार पर अग्रिम जमानत खारिज की है।