नए सिस्टम के इतने फायदे
● यह नई सिग्नल तकनीक है। इसमें रेलवे ट्रैक पर लगे सिग्नल फाइबर लाइन से कंट्रोल होंगे। ● इसमें भारी वायरिंग नहीं होगी, सब फाइबर से होगा। इससे सिग्नल तेजी से काम करेगा। ● सिग्नल कभी ब्लैंक नहीं होंगे, यानी यदि एक सिग्नल में गड़बड़ आई तो भी ट्रेन को सिग्नल का आस्पेक्ट दिखाई देगा। ● ट्रेनें ज्यादा सुरक्षित और समय पर चलेंगी। ● सिस्टम के साथ स्वचालित पंखा भी जुड़ा है। यह खुद चालू होकर मशीन को गर्म होने से बचाता है।
● यदि एक लाइन खराब हो जाए तो दूसरी लाइन से काम चलता रहेगा, सिस्टम कभी नहीं रुकेगा। ● जून 2026 तक पूरे रेलखंड में यही सिस्टम। अभी दो सिग्नलों पर निशातपुरा यार्ड में की है। भोपाल से बीना के बीच इस चरणबद्ध तरीके से लागू करने का काम शुरू हो चुका है।
खराबी की आशंका होगी कम
सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया, अभी जो सिग्नल प्रणाली थी, उसमें तारों से सिग्नल कंट्रोल करते थे। इसमें समय लगता था। खराबी की आशंका रहती थी। अब नहीं रहेगी। नई तकनीक ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित है। यह ज्यादा विश्वसनीय और तेज है।