राजधानी में चल रही गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी डॉ. संजय कुमार ने दी। कॉन्फ्रेंस में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, हेमेटोलॉजिस्ट और सर्जन शामिल हुए। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि हीमोग्लोबिन का स्तर 15 से ऊपर निकल जाता है तो खून के थक्के जमने का डर होता है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक या गेस्ट्रो से संबंधित समस्या हो सकती है।
कैसे काम करेगा कैप्सूल
पिल बोट एंडोस्कोपी में कैप्सूल में माइक्रो कैमरा, बैटरी और वायरलेस सिस्टम होता है। 12 घंटे तक यह पेट में सक्रिय रहता है। कैप्सूल से छोटी आंत (22 फीट लंबी) की जांच हो सकेगी। पेट के अल्सर, गेस्ट्रिक कैंसर, आंतों में ब्लीडिंग, पोलीप्स, थ्रोम्बोसिस या खून के थक्के, बायोप्सी की जांच भी हो सकेगी।
नाभी हटना और गैस सिर में चढ़ना जैसे भ्रम
डॉ. आचार्य ने कहा कि ‘नाभी का हटना’ या ‘गैस का सिर में चढऩा’, जैसी बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। फैट केवल लिवर में ही नहीं, बल्कि दिल और शरीर के अन्य हिस्सों में भी जमा हो सकता है। सामान्यत: यह मीठा और प्रोसेस्ड फूड अधिक खाने से होता है।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट में भारत दुनिया का दूसरा सफल देश
सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. एसके आचार्य ने बताया कि देश में हर पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी का इलाज संभव है। भारत ऑर्गन ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे सफल देश है। देश में ट्रांसप्लांट करवाने वाले 75-80 प्रतिशत मरीज 10-15 वर्षों तक स्वस्थ जीवन जीते हैं।
पाचन तंत्र की गड़बड़ी से बच्चों की ग्रोथ प्रभावित
पिल बोट एंडोस्कोपी में कैप्सूल में माइक्रो कैमरा, बैटरी और वायरलेस सिस्टम होता है। 12 घंटे तक यह पेट में सक्रिय रहता है। कैप्सूल से छोटी आंत (22 फीट लंबी) की जांच हो सकेगी। पेट के अल्सर, गेस्ट्रिक कैंसर, आंतों में ब्लीडिंग, पोलीप्स, थ्रोम्बोसिस या खून के थक्के, बायोप्सी की जांच भी हो सकेगी।