भामाशाहों के सहारे सरकारी स्कूल राज्य सरकार की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई स्कूल आज भी भामाशाहों और स्थानीय दानदाताओं के सहयोग से चल रहे हैं।
प्रमाण पत्र भी बन गया मज़ाक शिक्षा विभाग ने हाल ही सभी स्कूलों से भवन की सुरक्षा का प्रमाण-पत्र मांगा था, लेकिन अधिकांश स्थानों पर प्रधानाचार्य और स्टाफ पर दबाव डालकर सब ठीक है का कागज़ भरवा लिया गया। यह दस्तावेज़ केवल औपचारिकता बन कर रह गया है।
जोधड़ास स्कूल बना उदाहरण कुछ दिन पहले ही क्रमोन्नत हुए राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जोधड़ास स्कूल में चार कमरे हैं। इनमें तीन कमरों में बरसात में पानी टपकता है। एक कमरा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त है। बारिश के समय वहां पढ़ाई बंद करनी पड़ती है। छत और दीवारें किसी भी वक्त गिर सकती हैं। बच्चों को कमरे के बजाय बाहर बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है।
बच्चों में बैठा डर कई विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का कहना है कि जब भी तेज़ हवा चलती है या बारिश होती हैए बच्चे डरे सहमे रहते हैं। कुछ माता.पिता तो अब बच्चों को स्कूल भेजने से भी कतराने लगे हैं।
शिक्षा अधिकारी को भी जानकारी नहीं भीलवाड़ा जिले में कितने सकूल भवन व कक्षा-कक्ष जर्जर हैं इसकी जानकारी समग्र शिक्षा अधिकारी डॉ. कल्पना शर्मा को भी नहीं है। झालावाड़ की घटना के बाद उनका कहना था कि स्कूलों की क्या स्थिति है इसके बारे में सभी प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर जानकारी मांगी जा रही है। जबकि शिक्षा विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने 14 जुलाई को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, स्कूल शिक्षा विभाग से स्कूलों की जानकारी मांगी थी।
सीबीईओ सुवाणा ने मांगी रिपोर्ट सुवाणा ब्लॉक के सीबीईओ डॉ. रामेश्वर जीनगर ने आदेश जारी कर सभी विद्यालयों से क्षतिग्रस्त भवन, कक्षा-कक्ष की जानकारी मांगी है। साथ ही क्षतिग्रस्त कमरों में छात्रों को नहीं बैठाने के लिए पाबंद किया है। उधर समसा के कनिष्ठ अभियंता जिले के रायपुर क्षेत्र में क्षतिग्रस्त भवनों की शुक्रवार को सर्वे शुरू किया है।
फूलिया के जोरा का खेड़ा स्कूल फूलिया कलां उपखण्ड क्षेत्र के ग्राम पंचायत धनोप के जोरा का खेड़ा ग्राम स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवन की टूटी छत को रोकने के लिए लकड़ी लगा रखी है। यहां विद्यार्थियों की जान को खतरा है।
35 साल पुराना जर्जर भवन, बारिश में टपकती छतें दौलतगढ़ राउमावि क्षतिग्रस्त है। पांच कमरों में पानी टपकने व गिरने की संभावना के चलते उन्हें बंद कर रखे हैं। 310 छात्र अध्ययनरत है। जिनकी खतरे में है। प्रधानाचार्य मुकेश नुवाल ने बताया कि भवन 35 साल पुराना है।
इनकी होनी चाहिए पालना
- . जिलेभर में स्कूल भवनों की त्वरित सर्वेक्षण और ऑडिट हो।
- . असुरक्षित स्कूल भवनों में कक्षाएं तत्काल बंद कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
- . शिक्षा विभाग की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
- . प्रत्येक स्कूल में मासिक संरचना सुरक्षा रिपोर्ट अनिवार्य की जाए
- . सीएसआर और पंचायत निधि से भवन सुधार के लिए तात्कालिक फंड मिले।