बता दें कि मामले में देवेंद्र जोशी पर राजकोष को हानि पहुंचाकर निजी लाभ उठाने का आरोप है। रिपोर्ट के अनुसार, जोशी वर्ष 2018 से अप्रैल 2025 तक बतौर कर्मचारी न्यायालय में कार्यरत रहा। इस अवधि में उसने वेतन एरियर के फर्जी बिल तैयार कर 9,11,319 रुपए की राशि पांच बार में अपने निजी बैंक खाते भारतीय स्टेट बैंक, इंद्रा मार्केट शाखा, भीलवाड़ा में स्थानांतरित कराई।
राशि अलग-अलग समय पर प्राप्त की
आरोप है कि जोशी ने 7,04,046 रुपए व 2,07,273 रुपए की दो किस्तों में यह राशि अलग-अलग समय पर प्राप्त की। जांच में यह भी सामने आया कि भुगतान के लिए तैयार किए गए बिल मिथ्या थे और उनके कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। उक्त लेन-देन जोशी के बैंक स्टेटमेंट और संबंधित अवधि के सरकारी जीए-55ए रजिस्टर में भी दर्ज है, जिससे आरोपों की पुष्टि होती है।
पुलिस कर रही जांच
जिला न्यायालय द्वारा इस आर्थिक अनियमितता की विस्तृत जांच के बाद मामला कोतवाली पुलिस को सौंपा गया। वर्तमान में थाना प्रभारी गजेंद्र सिंह नरुका मामले की जांच कर रहे हैं। इस मामले ने न्यायालयिक संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।