जीवलिया विद्यालय लगभग 35 वर्ष पुराना है और वर्तमान में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई यहां संचालित होती है, जिसमें 103 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। विद्यालय भवन की छतें इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि बारिश के दौरान सभी कमरे टपकने लगे। विद्यालय प्रबंधन को मजबूरन पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में छुट्टी घोषित करनी पड़ी। स्कूल परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र को भी बंद करना पड़ा।
स्थानीय महेंद्र जाट, नारायण जाट, महावीर जाट, बालकिशन वैष्णव ने बताया कि वर्ष 2023 से लगातार शिकायते कर रहे है। कुछ साल पहले प्रार्थना सभा के समय परिसर का एक हिस्सा अचानक गिर गया था। सौभाग्यवश, वहां कोई छात्र मौजूद नहीं था, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
प्रधानाचार्य चंदा सोनी के अनुसार, विगत तीन वर्षों से भवन की मरम्मत और अतिरिक्त कक्षा-कक्ष निर्माण के प्रस्ताव विभाग को भेजे जा रहे हैं। दो वर्ष पूर्व 6.50 लाख की राशि स्वीकृत भी हो गई थी, लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। शिक्षक समसा के अधिशाषी अभियंता पर कार्य में अड़चन डालने का आरोप लगा रहे हैं। हलेड स्थित राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के नए भवन के लिए कलक्टर ने 1.08 बीघा जमीन आवंटित की थी। लेकिन 12 साल बाद भी इस पर निर्माण शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में जर्जर विद्यालय में बालिकाओं को पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उपभोक्ता अधिकार संगठन हलेड अध्यक्ष कैलाश सुवालका ने जमीन पर विद्यालय निर्माण की मांग की है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया ने जिला कलक्टर से मांग की है कि सभी सरकारी स्कूलों की सुरक्षा और रखरखाव की जांच की जाए।
पुर में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा पुर में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माली मोहल्ला में कक्षा-कक्षों में बारिश में प्लास्टर गिर गया है। दीवारों से पानी टपक रहा है। कक्षा-कक्ष में पानी भरा रहता है। छात्रों के बैठने की जगह नहीं है। बरामदे का छज्जा भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। छत के नीचे से आने जाने पर रोक लगा रखी है। दीवारों में जगह- जगह दरारें आ रही है। यहां 78 बच्चों का नामांकन है।
आरजिया ग्राम के संस्कृत विद्यालय की स्थिति भयावह है। भवन की छत के सरिए बाहर निकल चुके हैं और कभी भी गिरने की आशंका बनी हुई है। ग्रामवासियों ने शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को कई बार लिखित में शिकायत दी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही।
बागौर क्षेत्र के गणेशपुरा खान के प्राथमिक विद्यालय की इमारत में चारों ओर दरारें उभर आई हैं। दो कमरों में 51 बच्चों की पढ़ाई होती है। एक कमरे की पट्टी टूट चुकी हैं, जिससे खतरे की आशंका के चलते बरसात में बच्चों को घर भेजना पड़ता है। भवन को सहारा देने के लिए लोहे की एंगल का सहारा लिया गया है।