बता दें कि इन झाड़ियों ने न केवल कस्बे की सुंदरता बिगाड़ी, बल्कि मच्छरों का प्रकोप इस कदर बढ़ा दिया है कि घरों में रात को लाइट जलाना भी मुश्किल हो गया है। लाइट जलाते ही मच्छरों के झुंड भोजन पर टूट पड़ते हैं। इससे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों की परेशानी और बढ़ गई है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
अस्पताल से स्कूलों तक बबूल का कब्जा
कस्बे के सरकारी अस्पताल की हालत बेहद चिंताजनक हैं। अस्पताल के चारों ओर उगी झाड़ियां रात में भर्ती मरीजों को मच्छरों के हवाले कर देती हैं। लेबर रूम में नवजात शिशुओं को मच्छरों से बचाने के कोई पुता इंतजाम नहीं हैं, जिससे उनके परिजन चिंतित रहते हैं।
अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन बरामदों में मच्छरों के बीच रात गुजारने को मजबूर हैं। दूसरी ओर विद्यार्थियों ने बताया कि रात को पढ़ाई करते समय लाइट जलाते ही कमरा मच्छरों और कीट-पतंगों से भर जाता है। आत्मशांति कुटीर, विश्वकर्मा मंदिर, किसान कॉलोनी, लोहारों का वास, रावली बही और ग्वारियों का वास जैसे क्षेत्रों में भी यही स्थिति बनी हुई है।
खाली भूखंडों में झाड़ियां, नहीं कोई कार्रवाई
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका ने झाड़ियां हटाने को लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। कस्बे के सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ निजी खाली भूखंडों में भी बबूल की झाड़ियां बढ़ती जा रही हैं। न तो सफाई अभियान चलाया गया और न ही भूखंड मालिकों को कोई नोटिस जारी किए गए हैं।
लोगों का कहना है कि ये झाड़ियां मच्छरों के साथ ही सांप और अन्य कीटों को भी पनाह दे रही हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। डेंगू और मलेरिया जैसे रोग फैलने की आशंका भी बनी हुई है।
इनका कहना है
अस्पताल के आसपास की झाड़ियां हटाना नगरपालिका की जिमेदारी है। यदि वे कार्रवाई नहीं करते तो हम मजदूर लगाकर झाड़ियां हटवाएंगे, ताकि मरीजों को परेशानी न हो।
-अर्जुन बिश्नोई, मुख्य ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी
नगर पालिका के पास फिलहाल इतना मैनपावर नहीं है कि हर जगह की झाड़ियां हटाई जा सकें। सार्वजनिक स्थलों पर शीघ्र ही सफाई कराई जाएगी। निजी भूखंडों के मालिकों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी। घरों के आसपास की सफाई लोग स्वयं करें।
-सुमरे सिंह, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका