गुफाओं का रोमांचकर सफर
रहस्यमयी शिवलिंग के दर्शन करने श्रद्धालुओं को पहाड़ी चढऩे के बाद गुफाओं का कठिन सफर करना होता है। सैकड़ों फीट अंदर पत्थरों की गुफा और सुरंगों से गुजरने के दौरान पर्यटकों को धार्मिक ग्रंथों जैसी उल्लेखित आकृति और कलाकृतियां नजर आती है, जो कि शेष नाग, त्रिशूल, गौथन की तरह नजर आते हैं। यह सब श्रद्धालुओं की आस्था को बढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं में मानता है कि यहां महादेव ने कैलाश पर्वत जैसा अपना धाम बसाया है।
ऐसे पहुंचे श्रद्धालु
जिला मुख्यालय से गुप्तेश्वर धाम पहुंचने के लिए दो मार्ग है। बालाघाट से नवेगांव नेत्रा होते हुए या सालेटेकरी होते हुए पहले हट्टा पहुंचना होता है। इसके बाद मानागढ़ सुसवा के आगे डोंगरगांव स्थित है। यहीं से करीब चार- पांच किमी. की सीमेंट सडक़ फिर पथरीला रास्ता है। यहां बारिश के दिनों में आवागमन प्रभावित रहता है। मंदिर तक पहुंचने इसी कच्चे मार्ग को पैदल पूरा करना पड़ता है।
अटूट आस्था का केन्द्र
प्राचीन समय से अद्भुत और रहस्यमयी यात्रा के लिए प्रसिद्ध गुप्तेश्वर महादेव के धाम को लेकर यहां के भक्तों में गहरी आस्था है। प्रकृति की वादियों, पहाड़ों से घिरे इस धाम में अनेकों चमत्कार के दावे भी किए जाते हैं। बालाघाट ही नहीं बल्कि देश भर में गुप्तेश्वर महादेव के इस धाम को आस्था और पर्यटन के लिहाज से खास माना जाता है। भक्तों की मानें तो हैरान करने वाली गुप्तेश्वर महादेव की रहस्यमयी यात्रा वाले इस सिद्ध धाम में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।