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बालाघाट

वेटिंग रूम के छत पर पहले ढूंढा लीकेज फिर डाला तिरपाल

गति शक्ति का कार्य करने वालों ने बोला, नहीं मिल रहा सपोर्ट इसलिए बिगड़ी स्थिति, छत से गुजरता है कई विभागों का केबल
च्पत्रिका में खबर छपने के बाद वेटिंग रूम के छत पर डाला तिरपाल।

बालाघाटJul 28, 2025 / 06:02 pm

akhilesh thakur

गति शक्ति का कार्य करने वालों ने बोला, नहीं मिल रहा सपोर्ट इसलिए बिगड़ी स्थिति, छत से गुजरता है कई विभागों का केबल च्पत्रिका में खबर छपने के बाद वेटिंग रूम के छत पर डाला तिरपाल।

गति शक्ति का कार्य करने वालों ने बोला, नहीं मिल रहा सपोर्ट इसलिए बिगड़ी स्थिति, छत से गुजरता है कई विभागों का केबल
च्पत्रिका में खबर छपने के बाद वेटिंग रूम के छत पर डाला तिरपाल।

बालाघाट. स्थानीय रेलवे स्टेशन के टपकते वेटिंग रूम के छत पर च्पत्रिकाज् में खबर प्रकाशित किए जाने के बाद तिरपाल टांग दिया गया है। हालांकि इसके बाद भी सीपेज जारी है। च्पत्रिकाज् टीम ने रविवार को उक्त दृश्य कैमरे में कैद किए हैं। मौके पर मिले गति शक्ति योजना का कार्य देख रहे आशीष ने बताया कि अब पानी टपकना बंद हो गया है। उनको जब वेटिंग रूम में छत से हो रहे सीपेज दिखाया गया तो वे निरूत्तर हो गए।
गति शक्ति योजना के आशीष ने मौके से ही मोबाइल पर अपने सीनियर से बात कराया। उसने बताया कि च्पत्रिकाज् में खबर छपने के बाद वेटिंग रूम के टकपते छत पर लीकेज ढूढने टीम गई थी। टीम को छत पर लीकेज नहीं मिला। दावा किया कि छत पर ग्रेडिंग कार्य कराया गया है, लेकिन इसके बाद भी पानी टपकना बंद नहीं हुआ तो तिरपाल टांग दिया गया है। स्थाई समाधान करने के सवाल पर बताया कि छत से कई केबल गुजरते हैं। सब चालू हालत में है। वे रेलवे के अलग-अलग विभागों के है। उन विभागों से सहयोग नहीं मिलने की वजह से यह स्थिति निर्मित हो रही है। अब सवाल यह है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। रेलवे के यात्री या अधिकारी।
सांसद ने 82 दिन पूर्व दिए थे सुधारने के निर्देश

भाजपा सांसद भारती पारधी पांच मई को स्थानीय रेलवे स्टेशन पर बने पोर्च के आंधी में परखच्चे उडऩे की जानकारी पर निरीक्षण करने पहुंची थी। उस समय उनको वेटिंग रूम के छत टपकने और शौचालय सीपेज की जानकारी यात्रियों ने दी थी। उन्होंने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को तत्काल सुधारने के निर्देश दिए थे। उस समय आश्वासन मिला था। लेकिन 82 दिन पार होने के बाद भी छत से पानी टपकना बंद नहीं हुआ। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि समय-समय पर अपने अधिकारों की बात करने वाले रेलवे के अधिकारी-कर्मचारी अपने कत्र्तव्यों के प्रति कितने जिम्मेदार है।
स्टेशन प्रबंधक ने कैसे ले लिया हैंडओवर

स्टेशन प्रबंधक वेटिंग रूम हैंडओवर लेने के पहले एईएन नैनपुर, एसएससी गोंदिया व आईओडब्ल्यू की सहमति ली या नहीं? उन लोगों ने वेटिंग रूम का तकनीकी अवलोकन किया या नहीं?ï बताया जा रहा है कि हैंडओवर के समय से ही छत टपक रहा है। पांच मई को सांसद ने सुधारने के निर्देश दिए थे। उस समय एसएससी गोंदिया मल्लिकार्जुन भी थे। तब से अब तक उसे सुधारने के लिए क्या रेलवे बारिश का इंतजार कर रही थी? प्रतिदिन सैकड़ों यात्रियों का रेलवे स्टेशन से आना जाना है, जिनको इससे परेशानी हो रही है। इसके लिए क्या रेलवे जिम्मेदार नहीं है? साथ ही यह सवाल भी खड़े हो रहे है कि गति शक्ति और अमृत भारत योजना से होने वाले करोड़ों रुपए के कार्य की गुणवत्ता का ध्यान रेलवे के जिम्मेदार सही से नहीं रख पा रहे हैं। उक्त कार्य इसकी पुष्टि कर रहे हैं। अब लोगों का भरोसा रेलवे के कार्यों से उठने लगा है।
वर्जन – मैंने निरीक्षण के समय वेटिंग रूम के छत टपकने और शौचालय के सीपेज को सुधारने के निर्देश दिए थे। यदि वह नहीं सुधरा है तो संबंधित के साथ रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करुंगी। इसमें जिसकी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। – भारती पारधी, सांसद बालाघाट

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