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भिवाड़ी-नीमराणा में निर्मित होंगी 48 किलोमीटर धूल रहित सडक़ें

उद्योगों के लिए जरूरी
उद्योग क्षेत्र में इस तरह की सड$कों की बहुत जरूरत है। धूल कम उड़े इससे हवा स्वच्छ होगी। उद्योग क्षेत्र में दीवाली से लेकर होली तक हवा की सेहत बहुत खराब रहती है। एक्यूआई दो सौ से ऊपर बना रहता है। ऐसी हवा में सांस लेना जान जोखिम में डालने जैसा होता है।

अलवरMay 15, 2025 / 11:48 pm

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भिवाड़ी. भिवाड़ी और नीमराणा में धूल रहित सड$कें तैयार करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। भिवाड़ी के सभी विभागों ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को सड$कों के सु²ढ़ीकरण के प्रस्ताव भेजे हैं। जिसमें नगर परिषद ने 1.2 किमी सड$क, बीडा दो किमी, आरएचबी नौ सौ मीटर, रीको द्वितीय 5.5 किमी, रीको प्रथम दो किमी, रीको नीमराणा 36.5 किमी सड$क बनाने के प्रस्ताव भेजे हैं।
प्रदेश के एनसीआर में आने वाले शहरों में ऐसी मॉडल रोड का निर्माण करना है, जिसमें धूल नहीं उड़े और पैदल यात्रियों के लिए सुविधाजनक हों। इन सड$कों का उद्देश्य आमजन को वाहनों की जगह पैदल चलने के लिए प्रेरित करना होगा, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा। सीएक्यूएम का जोर एनसीआर में आने वाले शहरों में हवा की स्थिति सुधारने पर है। पूर्व में हुई बैठक में आयोग के निदेशक और वैज्ञानिक ने यूपी राजस्थान के जिलों में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। उक्त बैठक में यूपीपीसीबी, आरएसपीसीबी, भिवाड़ी नगर परिषद, नीमराणा सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए। उस बैठक में दिए गए निर्देशों के तहत अब सभी विभागों ने रोड नव निर्माण की योजना पेश की है।
इस तरह की रोड होंगी पर्यावरण के अनुकूल: रोड के विकास में बिना गड्ढे वाली सडक़ के साथ हरियाली, फुटपाथ, ड्रेनेज, रात के समय लाइङ्क्षटग और पब्लिक की सुरक्षा का मुख्य योगदान होता है। फुटपाथ भी नियमित हो, जिससे कि व्यक्ति पांच सौ मीटर से एक किमी तक पैदल आसानी से चल सके। एक किमी ऑफिस या फिर सब्जी खरीदने जाना हो वह वह बिना किसी दुर्घटना की आशंका के फुटपाथ से निकल सके। इसके लिए सीएक्यूएम ने गुरुग्राम के एक रोड को मॉडल के तौर पर प्रस्तावित किया था। इस रोड पर उचित डे्रनेज, लाइङ्क्षटग, फुटपाथ तैयार किया गया है। इस तरह का बनाया है जिसमें धूल का उत्सर्जन कम से कम होगा।
इसकी निगरानी के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) के तौर पर स्कूल ऑफ प्लाङ्क्षनग एंड आर्किटेक्चर दिल्ली को नोडल संस्था बनाया गया है। इसके अंतर्गत सेंट्रल फॉर रोड रिसर्च इंस्टीट््यूट (सीआरआरआई) भी निगरानी करेगा। इस रोड मॉडल के निर्माण एवं निगरानी के लिए राज्य स्तर पर और जिस शहर में रोड बनेगी वहां पर पीएमयू की इकाई का गठन होगा।
उद्योगों के लिए जरूरी
उद्योग क्षेत्र में इस तरह की सड$कों की बहुत जरूरत है। धूल कम उड़े इससे हवा स्वच्छ होगी। उद्योग क्षेत्र में दीवाली से लेकर होली तक हवा की सेहत बहुत खराब रहती है। एक्यूआई दो सौ से ऊपर बना रहता है। ऐसी हवा में सांस लेना जान जोखिम में डालने जैसा होता है। ऐसी
स्थिति में आमजन को स्वस्थ ङ्क्षजदगी देने के लिए सडक़ों पर धूल उडऩे से रोकना जरूरी
होता है।
&सीएक्यूएम की पूर्व में जो बैठक हुई थी, उसकी पालना में सभी विभागों ने धूल रहित एवं सुरक्षित सडक़ निर्माण के लिए जानकारी दी है। उसे आयोग के पास भेज दिया गया है, अब डीपीआर तैयार होगी।
  • मुकेश चौधरी,
    आयुक्त नगर परिषद।

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