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अजमेर

वकीलों ने अदालत परिसर का मुख्यद्वार बंद कर किया कार्य बहिष्कार

सीआई को बर्खास्त करने की मांग, धोखाधड़ी के मामले में नोटेरी पब्लिक को आरोपी बनाने का विरोध

अजमेरApr 29, 2025 / 01:56 am

dinesh sharma

work boycott

अदालत परिसर के बाहर धरने पर बैठे किशनगढ़ के वकील।

नोटेरी पब्लिक वकील को धोखाधड़ी के एक मामला में आरोपी बनाने और कोर्ट परिसर से गिरफ्तार करने के विरोध में किशनगढ़ बार एसोसिएशन के बैनरतले वकीलों ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। वकीलों ने प्रकरण में किशनगढ़ थाना सीआई भीखाराम काला को बर्खास्त किए जाने की मांग की। उन्होंने अदालत का मुख्यद्वार बंद कर पुलिस कार्रवाई के विरोध में धरना दिया।

जमानत याचिका पेश की

बार एसोसिएशन अध्यक्ष रूपेश शर्मा के नेतृत्व में वकीलों ने सुबह 9 बजे से ही कार्य स्थगित कर दिया। इस दौरान अदालत में वकील बालकिशन सुनारिया की जमानत याचिका पेश की गई। अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार कर ली। इसके बाद वकीलों ने प्रकरण में पुलिस कार्रवाई को लेकर रोष जताते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने किशनगढ़ थाना सीआई भीखाराम काला पर द्वेषतापूर्वक कार्रवाई करने के आरोप लगाए।

धरने पर बैठ गए

इस दौरान वकील अदालत परिसर का मुख्यद्वार बंद कर सामने धरने पर बैठ गए। उन्होंने सीआई काला को बर्खास्त करने की मांग करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी। बार अध्यक्ष शर्मा ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी के एक प्रकरण में 25 अप्रेल को सीआई काला वकील सुनारिया को कोर्ट परिसर से जबरन गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए और कपड़े खुलवाकर लॉकअप में बिठा दिया। सुनारिया नोटरी पब्लिक हैं।

झूठे प्रकरण में आरोपी बनाया

उन्होंने पावर ऑफ अटॉर्नी की नोटरी की थी। सीआई ने उन्हें भी आरोपी बना गिरफ्तार कर अवकाशकालीन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। उनका आरोप है कि सुनारिया को झूठे प्रकरण में आरोपी बनाया गया। बार एसोसिएशन ने उपखंड अधिकारी निशा सहारण को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नाम ज्ञापन देकर सीआई भीखाराम काला को बर्खास्त करने की मांग की। उन्हें बर्खास्त नहीं किए जाने तक कार्य बहिष्कार की घोषणा की।
इनका कहना है…

जमीनी धोखाधड़ी के मामले में सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। फर्जी दस्तावेजों और अंगूठा निशानी पर नोटेरी कर दी गई। इसके बाद रजिस्ट्री करवाई गई और नामांतरण खुलवाया गया। एफएसएल जांच में परिवादी की अंगूठा निशानी से मिलान नहीं हुआ। अनुसंधान में वकील का नाम जोड़ा गया और फर्जीवाड़े की पुष्टि के बाद ही गिरफ्तार किया गया।
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