एनआईडी के प्रोडक्ट डिजाइन मास्टर ऑफ डिजाइन कोर्स के 2024 बैच के छात्र मोनिश बाफना ने बताया कि उन्होंने इस झाड़ू की डिजाइन को हरि प्रिया झाड़ू नाम दिया है। क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी कहा जाता है। मोनिश मूलरूप से राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले हैं।
इसे ऐसे डिजाइन किया है कि जिससे सूखी सतह को पारंपरिक झाड़ू की तुलना में ज्यादा आराम से, कम समय और मेहनत में साफ किया जा सकता है। बाफना ने झाड़ू की सींक (ब्रिसल) की डिज़ाइन बदलने पर ध्यान दिया। मौजूदा झाड़ू धूल को हटाने और कोनों तक पहुंचने में सक्षम नहीं है। ऐसे में सफाई के लिए झाड़ू को बार-बार लगाना पड़ता है, इसमें समय, मेहनत दोनों ज्यादा लगते हैं।
उन्होंने झाड़ू को ऐसे डिजाइन किया कि वह एक ही बार में ज्यादा क्षेत्र को कवर करे और ज्यादा दक्षता के साथ सफाई करे। इसके लिए झाड़ू में लगने वाली सींकों के फैलाव और आकार को बढ़ाया। डिजाइन में आगे सींक ज्यादा रखीं और फिर उसके पीछे घटते क्रम में सींक लगाईं। जिससे ज्यादा दक्षता से सफाई और संभव है। समय, मेहनत कम लगती है।
वजन भी ज्यादा नहीं, थोड़ी लंबाई बढ़ाई
छात्र ने बताया कि झाड़ू की डिजाइन ऐसी है कि उसका वजन भी मौजूदा परंपरागत झाड़ू जितना ही है। उनके अनुसार डिजाइन में किए बदलाव के बूते देश-विदेश के घरों में सुबह-शाम झाड़ू लगाने वाली गृहिणियों को काफी राहत मिलेगी। इसमें उन्होंने झाड़ू की थोड़ी लंबाई भी बढ़ाई है, जिससे उन्हें झाड़ू लगाते समय ज्यादा झुकना नहीं पड़ेगा। ऐसे में ज्यादा क्षेत्र में झाड़ू लगाने पर दर्द की शिकायत नहीं होगी।