इस विसंगति का खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार के जनगणना कार्य निदेशालय ने जिला प्रशासन से इस मामले की जानकारी मांगी। आबादी से अधिक प्रमाणपत्र जारी होने का यह प्रकरण सामने आने पर जिलाधिकारी गौरांग राठी के निर्देश पर डीपीआरओ आलोक सिन्हा ने तत्काल जांच बैठा दी है। इसी तरह का एक और मामला नवाबगंज की ग्राम पंचायत मकूर से भी सामने आया है, जहां के पोर्टल से जारी 320 प्रमाणपत्र भी संदेह के घेरे में हैं।
पंचायत सचिवों को नोटिस जारी
दोनों ग्राम पंचायतों से कुल 6213 जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों की जांच शुरू हो गई है। डीपीआरओ ने संबंधित पंचायत सचिवों को नोटिस जारी कर इस भारी संख्या में प्रमाणपत्र जारी होने का जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि 1 जनवरी से 15 जुलाई 2025 के बीच ही ये प्रमाणपत्र जारी हुए हैं।
तकनीकी पहलू और आगे की कार्रवाई
डीपीआरओ आलोक सिन्हा ने बताया, ‘तकनीकी रूप से सीएमओ कार्यालय आईडी को नियंत्रित करता है, इसलिए एक पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी को भी भेजा गया है। सचिवों और सीएमओ के जवाब से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि जो प्रमाणपत्र जारी हुए हैं, वे सही हैं या फर्जी। इसके बाद रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।’ उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि यदि आईडी हैक करके प्रमाणपत्र जारी होने की पुष्टि होती है, तो रिपोर्ट दर्ज कराई जाए।