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बढ़ती आबादी का बोझ उठा रहे शहर, डेढ दशक में शहरी आबादी पांच लाख बढ़ी

कभी कहा जाता था असली भारत गांवों में बसता है आज खाली हो रहे गांव पूरण सिंह शेखावत प्रदेश में कोटा के बाद एज्यूकेशन हब के रूप में प्रसिद्ध सीकर जिले की आबादी में 15 साल में करीब पांच लाख बढ़ गई है। वजहशिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और जीवन की मूलभूत सुविधाओं की तलाश में गांवों […]

सीकरJul 12, 2025 / 11:08 am

Puran

कभी कहा जाता था असली भारत गांवों में बसता है आज खाली हो रहे गांव

पूरण सिंह शेखावत

प्रदेश में कोटा के बाद एज्यूकेशन हब के रूप में प्रसिद्ध सीकर जिले की आबादी में 15 साल में करीब पांच लाख बढ़ गई है। वजहशिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और जीवन की मूलभूत सुविधाओं की तलाश में गांवों से शहरों की ओर हो रहा लगातार पलायन न केवल गांवों को वीरान कर रहा है, बल्कि शहरों की रफ्तार को भी रोकने लगा है। आंकड़ों के अनुसार एक दशक में सीकर शहर का दायरा बढ़ा और नगर विकास न्यास में दो दर्जन से ज्यादा गांव शामिल हुए। वर्ष 2011 की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार सीकर जिले की वर्ष 2011 में जनसंख्या 26 लाख से अधिक थी जो अब बढ़कर 31 लाख तक पहुंच गई है। बढ़ती आबादी के साथ एक दशक में जिले में नए उपखंड मुख्यालय व तहसीलों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा शहर का दायरा भी ढाई किमी से बढ़कर करीब छह किमी से ज्यादा हो गया है। आबादी बढ़ने के साथ शहर में नगर परिषद, यूआईटी व राजस्थान आवासन मंडल से अधिक निजी कॉलोनाइजरों ने बहुमंजिला इमारतें एवं नई कॉलोनियां काटी। एक दशक पहले शहर में जहां 29 कॉलोनियां थी, जो अब 55 से ज्यादा हो गई। गौरतलब है कि जिले में गुरुवार को युवाओं को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण विश्व में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना की थीम पर विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा।
10 फीसदी की गिरावट

प्रदेश में पिछले एक दशक में ग्रामीण आबादी में दस प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। हाल यह है कि गांवों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सरीखी मूलभूत सुविधाओं में कमी के कारण करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा मकान खाली करके लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। पहले जहां माना जाता था कि भारत की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है लेकिन हाल में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय और नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार, देश की 65 प्रतिशत आबादी अब शहरी क्षेत्रों में या उनके नजदीक के कस्बों में रह रही है, जबकि वर्ष 2001 में यह आंकड़ा महज 45 प्रतिशत था। विशेषज्ञों के अनुसार गांवों से पलायन की यही रफ्तार रही तो दो दशक में शहरों की आबादी गांवों की तुलना में बढ़ जाएगी।
शहरी आबादी

2011—-2023—-2024—-2025

सीकर 24497-289795—312943—315379

फतेहपुर 92595—-109750—-111313—-115360

रामगढ़ 33024—-39142—39700—-36033

लक्ष्मणगढ़ 53392—-63284—-67080—-62230

लोसल 28504—-33785—-34266—-31844

अजीतगढ़ 15414—18270—-16047—-17726

खंडेला 29044—-34425—-34915—-34523

श्रीमाधोपुर 31366—37177—-33875—-35734

रींगस 26139—30982—-31423—30054

नीमकाथाना 36830—-43654—-44255—-48042

खाटूश्यामजी 13499—-16000—-16228—17209

दांतारामगढ़ 18344—-21743—22052—-21097

ग्रामीण आबादी
2011—-2023—-2024—-2025

अजीतगढ़ 130882—155131—136253—-153228

दांता 171864—203705—203705—201206

फतेहपुर 180019—213371—-216409—-209396

खंडेला 268546—318300—-318300—-313279

कूदन 290287—-344069—-344068—-340785

लक्ष्मणगढ 171530—203309—203309—-199987

नेछवा 96034—113826—-113826—-112430

नीमकाथाना 185819—-220246—-200685—214067

पलसाना 160695—-190467—-190467—-186446

पाटन 109749—-130082—-105268—-128487

पिपराली 139810—-165713—165713—-163681

श्रीमाधोपुर 149450—-177139—-155535—-175303

इनका कहना है

रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की तलाश में एक दशक ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। गांवों की तुलना में शहरों में लोग बढ़ने लगे हैं। जिससे शहरों में जनसंख्या का दवाब बढ़ रहा है। हालांकि ग्रामीण जीवन की तरफ अब शहरी लोगों का रुझान होने लगा है।
डॉ. हर्षल चौधरी, एडिशनल सीएमएचओ सीकर

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